यूं तो अपने शेयर बाज़ार में पंजीकृत निवेशकों की संख्या 10.25 करोड़ के पार जा चुकी है। लेकिन इनमें से बमुश्किल 25 लाख ही बड़े निवेशक होंगे। बाकी दस करोड़ रिटेल निवेशक व ट्रेडर हैं जिनकी सक्रियता का अधिक से अधिक वही असर होता है जैसा बहती गंगा से दो-चार बाल्टी पानी निकाल लेना या उसमें डाल देना। रिटेल ट्रेडरों व निवेशकों की खरीद-बिक्री का शेयरों के भाव पर कोई असर नहीं पड़ता। वे अमूमन एक बार में 10-20-50 या बहुत हुआ तो 1000 शेयर तक खरीदते हैं। इससे ज्यादा धन उनके पास रहता ही नहीं। बात साफ है कि शेयर बाजार बहुत-बहुत धनवान लोगों का खेल है। उनका खेल है जिनके लिए दो-चार करोड़ रुपए कोई खास मायने नहीं रखते। इनसे भी ऊपर है देशी-विदेशी संस्थाओं का खेल। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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