जब कोई शेयर या कमोडिटी जैसे वित्तीय बाज़ार में ट्रेडिग करने की सोचता है तो उसके मन में हर तरफ से लड्डू ही लड्डू फूटते हैं। कितना मज़ा आएगा! न कोई बॉस, न सुबह-सुबह ऑफिस जाने का झंझट! घर पर बैठकर अपने लैपटॉप से ट्रेडिंग। बचत से ढाई लाख रुपए भी लगाए तो महीने में 10% कमाने पर ही 25,000 आ जाएंगे। बाकी मूलधन सुरक्षित। इससे ज्यादा और क्या चाहिए रिटायरमेंट के बाद।
ट्रेडिंग में उतरनेवाला हर शख्स सस्ते में खरीदने और महंगे में बेचने की सोचता है। लेकिन बाज़ार में सस्ते में खरीदना तभी होता है, जब हर कोई बेच चुका होता है। चार्ट पर सभी कैंडल लाल दिखते हैं। कंपनी संबंधी बदतर खबरें चलती रहती हैं। लेकिन ऐसे माहौल में हमारा सहज दिमाग खरीदने नहीं, भागने को कहता है। जीवन के दूसरे क्षेत्रों में हम सेल में खरीदते हैं। मगर शेयर बाज़ार में नहीं।
अगर जीवन के अन्य क्षेत्रों में आपका अपने ऊपर नियंत्रण नहीं है तो इस गफलत में मत रहिए कि वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में इसे हासिल कर लेंगे। यहां तो हर पल आत्मनियंत्रण ही नहीं, आपके जीवन की अब तक की सीख की परीक्षा होगी। अमूमन हम अच्छी लगनेवाली चीज़ के पीछे और हर डरानेवाली चीज़ से दूर भागते रहे हैं। ट्रेडिंग व निवेश में सफलता के लिए हमें इसका उल्टा करना होगा।
वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में उतरनेवाले अक्सर केवल उसके फायदे देखते हैं। नहीं देखते कि उसमें चुनौतियां क्या हैं। नहीं समझते कि ये ऐसी चुनौतियां हैं जो बैंक बैलेंस ही नहीं, उनके आत्मविश्वास तक को ध्वस्त कर सकती हैं। बाजार की हकीकत यह है कि यहां जो लड्डू देखकर आते हैं, वे धन गंवाते हैं और उनका धन वे लोग ले जाते हैं जो इसकी चुनौतियों को ध्यान में रखकर ट्रेड करते हैं।
लोगबाग मुनाफे को प्यार करते हैं और घाटा उठाना पसंद नहीं करते। नतीजतन, मुनाफे होने पर फटाफट बुक कर लेते हैं, जबकि घाटे की पोजिशन को काटने के बजाय टालते रहते हैं। इसके विपरीत प्रोफेशनल ट्रेडर घाटा काटने में देर नहीं लगाते और मुनाफे को अंतिम छोर तक खींचकर ले जाते हैं। घाटा न्यूनतम, मुनाफा अधिकतम। वे ट्रेड की योजना बनाते और योजना के अनुरूप ट्रेड करते हुए अपना लक्ष्य हासिल करते हैं।