सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के बेल्लारी जिले की 19 खदानों पर रोक लगा दी है कि वहां से लौह अयस्क का खनन या उसका लाना-ले जाना नहीं हो सकता। कोर्ट ने यह फैसला शुक्रवार को सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश एस एस कपाडिया की अध्यक्षता वाली विशेष खंडपीठ ने कहा कि यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित केंद्रीय अधिकारप्राप्त समिति (सीईसी) ने जिन 68 अन्य खदानों को अवैध ठहराया है, उनके खिलाफ भी आदेश जारी किया जाएगा। इन सभी खदानों में खनन से संबंधित कायदे-कानून का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन किया जा रहा है।
सीईसी ने दो हफ्ते पहले 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कर्नाटक हो रहे अवैध खनन से सरकारी खजाने को 2003 के बाद से 15,245 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य की हर खान में वन संरक्षण कानून का उल्लंघन किया जा रहा है। लौह अयस्क से भरपूर बेल्लारी जिले में तो बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है।
आज शुक्रवार को खंडपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, “हम स्पष्ट करते हैं कि इन (19 खदानों) में अगले आदेश तक कोई खनन या खानों से निकाली गई सामग्री का परिवहन नहीं होगा।” हालांकि पीठ ने बाकी 68 खदानों के बारे में कोई आदेश नहीं सुनाया जो पहले ही कर्नाटक हाईकोर्ट की शरण ले चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अमिकस क्यूरी ए डी एन राव को निर्देश दिया है कि हाईकोर्ट के शरण में गई कंपनियों की सूची हासिल करने के बाद ट्रांसफर याचिका डाल दें ताकि उनके मामले पर भी सुनवाई हो सके।
बता दें कि कर्नाटक में लौह अयस्क का मामला सुप्रीम कोर्ट की नजर में चढ़ चुका है। इससे पहले 5 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक में लौह अयस्क के निर्यात और परिवहन पर लगाया गया प्रतिबंध 20 अप्रैल 2011 से हटाने का आदेश दे चुका है। कर्नाटक सरकार ने पिछले साल 26 और 28 जुलाई को अधिसूचना जारी कर लौह अयस्क के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी।