देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने देश के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज को लगातार तीन साल तक रिजर्व बैंक के निर्धारितों नियमों से अधिक कर्ज दिया है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ने वित्तीय संकट से जूझ रही एयर इंडिया के अलावा 2जी घोटाले में फंसी कुछ दूरसंचार कंपनियों को भी काफी मात्रा में कर्ज दे रखा है। लेकिन अब बैंक ने यह भी बताया है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) को दिया गया कर्ज रिजर्व बैंक की निर्धारित सीमा से अधिक था।
रिजर्व बैंक के दिशानिर्देश के अनुसार कोई बैंक किसी एक कंपनी को अपने पूंजी कोष (शेयर पूंजी + देनदारी से मुक्त कोष) का 15 फीसदी अथवा एक समूह की विभिन्न कंपनियों को अपने पूंजी कोष का 40 फीसदी से अधिक कर्ज नहीं दे सकता। अगर इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं का मामला हो तो यह सीमा क्रमशः 20 व 50 फीसदी हो सकती है।
स्टेट बैंक की सालाना रिपोर्ट में अन्य कंपनियों के भी नाम है जिन्हें वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान निर्धारित सीमा से अधिक कर्ज मिला है। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल और बीएचईएल शामिल हैं। बैंक की सालाना रिपोर्ट के अनुसार यह लगातार तीसरा वर्ष है जब उसने कर्ज देने के मामले में रिजर्व बैंक के नियम को तोड़ा है।
बहरहाल, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बैंक वित्त वर्ष 2010-11 के अंतिम दिन अर्थात 31 मार्च 2011 को कर्ज घटाकर निर्धारित सीमा के दायरे में ले आया था।
एसबीआई ने 2008-09 तथा 2009-10 में भी निर्धारित नियम से अधिक कर्ज आरआईएल को दिए। रिलायंस इंडस्ट्रीज के अलावा बैंक ने 2009-10 के दौरान इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), बीएचईएल और टाटा समूह को भी निर्धारित सीमा से अधिक कर्ज दिए।