शेयर बाज़ार दिन, महीने, साल हमेशा लहरों में चलता है। बाज़ार में ऐसा दौर होता है जब बहुत सारे शेयर आकर्षक भावों पर मिल रहे होते हैं। वहीं, ऐसा भी दौर होता है जब बहुत सारे शेयर काफी महंगे भाव पर चल रहे होते हैं। जो निवेशक बाज़ार की लहर के निचले स्तर या शेयरों को आकर्षक भाव पर खरीदते हैं, वे अक्सर दो-तीन साल में अच्छा कमा लेते हैं। वहीं, जो निवेशक बाज़ार की लहर के ऊपरी स्तर या शेयरों का महंगे भावों पर खरीदते हैं, वे अमूमन कम से कम अगले दो-तीन साल तक घाटे में रहते हैं। यह शेयर बाज़ार का सर्वमान्य नियम है। सवाल उठता है कि बाज़ार के लहर के स्तर और शेयरों के भावों के आकर्षक या महंगा होने का पता कैसे लगाया जाए? लहर का ऊपरी और निचला स्तर तो साफ दिख जाता है। मीडिया का शोर और दनादन आईपीओ भी बाज़ार की ऊपरी लहर की मुनादी कर देते हैं। वहीं, शेयरों का महंगा या सस्ता होना इससे तय होता है कि वे प्रति शेयर मुनाफे से कितना गुना भाव या पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहे हैं। जो शेयर 18-20 या बहुत हुआ तो 25-30 तक के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहे हैं, उनमें निवेश पर विचार कर सकते है। लेकिन ज्यादा सिर चढ़े शेयरों को दूर से ही सलाम। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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