शिक्षकों की कमी समेत शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की राहमें कई बाधाओं का सामना कर रही सरकार ने कहा है कि छह से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून का वांछित परिणाम हासिल होने में अभी कम से कम तीन साल का समय और लगेगा।
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल का कहना है, ‘‘इसमें कम से कम तीन साल का समय और लगेगा। यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसका फल कल प्राप्त हो जाए।’’ मंत्री ने महसूस किया कि आरटीई पर प्रभावी ढंग से अमल करने के लिए कई अहम बाधाओं को दूर करना होगा क्योंकि राज्यों के पास जरूरी आधारभूत संरचना व अन्य सुविधाओं का अभाव है।
हाल ही में कुछ राज्यों ने मंत्रालय से सम्पर्क कर शिक्षकों की पात्रता के मापदंड में छूट देने की मांग की थी क्योंकि इस कानून की पात्रता रखने वाले शिक्षकों को तैयार करनेवाली प्रशिक्षण संस्थाओं की कमी है। आरटीई कानून की धारा 23-2 के तहत पांच साल की निर्धारित समयावधि के भीतर प्राथमिक स्कूलों में सभी शिक्षकों को पेशेवर प्रशिक्षण प्राप्त कर लेना है।
राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की आठ जून को हुई बैठक के दौरान यह तथ्य उभर कर सामने आया कि देश में अप्रशिक्षित शिक्षकों की संख्या इस समय सात लाख से भी अधिक है। इन राज्यों में सबसे ऊपर बिहार, उसके बाद उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल का नंबर है।