राजीव गांधी इक्विटी सेविंग्स स्कीम की सारी खानापूरी हो चुकी है। 23 नवंबर को वित्त मंत्रालय ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया और 6 दिसंबर को पूंजी बाजार नियामक, सेबी ने सर्कुलर जारी कर दिया। इन दोनों को पढ़कर आप स्कीम के सारे नुक्तों से वाकिफ हो सकते हैं। सबसे खास बात यह है कि ये उन बचतकर्ताओं के लिए है जिन्होंने अभी तक शेयर बाजार में निवेश नहीं किया है। हालांकि इसमें वे निवेशक भी शामिल हैं जो किसी डिमैट खाते में मुख्य खाताधारक नहीं हैं। वे भी इसका लाभ उठा सकते हैं। लेकिन अगर आपके पास पहले से डिमैट खाता है और आपने शेयरों (आईपीओ, शेयर बाजार या डेरिवेटिव्स) में निवेश कर रखा है तो आपको इस स्कीम का लाभ नहीं मिलेगा। अगर आपकी सालाना आय 10 लाख रुपए के ऊपर है, तब भी स्कीम का लाभ आपको नहीं मिलेगा।
लाभ यह है कि अगर आप राजीव गांघी इक्विटी सेविंग्स स्कीम की शर्तों के मुताबिक किसी शेयर या म्यूचुअल फंड प्लान में 50,000 रुपए तक का निवेश निवेश करते हैं तो आप टैक्स भरते वक्त इसका आधा हिस्सा अपनी करयोग्य आय से घटा सकते हैं। यह कर-छूट आयकर कानून की धारा 80 सीसीजी के अंतर्गत दी गई है। 2012-13 के बजट में अभी के राष्ट्रपति और तब के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा घोषित इस स्कीम के पीछे सरकार का इरादा नए रिटेल निवेशकों को पूंजी बाजार में खींचना है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक इधर शेयर बाजार में रिटेल निवेशकों की संख्या एक करोड़ के पार पहुंच चुकी है। ब्रोकरेज फर्म आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज का दावा है कि अकेले उसके ही 25 लाख से ज्यादा कस्टमर हो चुके हैं।
वैसे तो स्कीम में मोटे तौर पर तय है कि किस-किस श्रेणी के शेयरों में सीधे निवेश किया जा सकता है। लेकिन संबंधित सूची बीएसई और एनएसई जल्दी ही अपनी वेबसाइट पर अलग से दे देंगे। इसके लिए सेबी के सर्कुलर में उन्हें साफ निर्देश दिया गया है। वित्त मंत्रालय के नोटिफिकेशन के अनुसार निवेशक इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए जिन शेयरों में सीधे निवेश कर सकते हैं, वे हैं बीएसई-100 व सीएनएक्स-100 में शामिल शेयर, केंद्र सरकार की तरफ से घोषित महारत्न, नवरत्न व मिनीरत्न सरकारी कंपनियां। साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र की उन कंपनियों के आईपीओ में भी निवेश पर इस स्कीम का लाभ मिल सकता है, जिनमें सरकार की इक्विटी हिस्सेदारी 51 फीसदी से ज्यादा है। और भी तमाम नुक्ते हैं, जिनका पता आप ज़रा-सा मेहनत से लगा सकते हैं।
सवाल उठता है कि क्या साल में दस लाख रुपए से कम कमानेवाले उन लोगों को इस स्कीम में मिल रही कर-छूट के लालच में आकर 50,000 रुपए तक का निवेश सीधे शेयरों में कर देना चाहिए, जिन्होंने अभी तक शेयर बाजार की तरफ झांका भी नहीं है? बहुत से विद्वान कहते हैं कि इस तरह निवेश के सबसे ज्यादा रिस्की माध्यम में आम लोगों को घसीटना गलत है। सरकार को इस तरह लोगों को जोखिम में नहीं ठेलना चाहिए। लेकिन हमारा मानना है कि आज के जमाने के हिसाब के इतना जोखिम उठाना जरूरी है। अरे! पानी में कूदेंगे नहीं तो तैरना कैसे सीखेंगे? फिर सरकार ने इस स्कीम में बचाव के तमाम उपाय भी कर रखे हैं।
एक तो सबसे बड़ी बात यही है कि सीएनएक्स-100, बीएसई-100 और महारत्न, नवरत्न या मिनीरत्न श्रेणी में शामिल कंपनियां कहीं भागनेवाली नहीं हैं। वे धंधे में उतरी गंभीर कंपनियां है और उनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है। इसलिए उनमें निवेश की गई धनराशि बाजार के उतार-चढ़ाव के हिसाब से कम-बेशी तो हो सकती है, लेकिन गायब नहीं। दूसरे, इसमें एक साल का पक्का लॉक-इन और तीन साल का फ्लेक्सिबल लॉक-इन है। इसलिए आपको मजबूरी में लंबे समय का निवेशक बनना ही पड़ेगा। तीन साल आपने इन कंपनियों में निवेश बनाए रखा तो तय मानिए कि आपको एफडी से ज्यादा रिटर्न मिलेगा।
अगर किसी वजह से तीन साल में भी घाटा लग रहा हो तो दस साल तक बने रहिए। तय मानिए कि भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था में आपको शानदार रिटर्न मिलेगा। तीसरी बात यह है कि अगर आप 50,000 रुपए लगाते हैं तो 25,000 रुपए पर 10 से 30 फीसदी टैक्स बचाने के बाद आपका वास्तविक निवेश तो 35,000 से 45,000 रुपए ही रहेगा। इस तरह पहले दिन से ही आपको कम से कम 10 फीसदी रिटर्न मिल रहा है जो एफडी से तो ज्यादा ही है। बाकी शेयर के बढ़ने का जो फायदा होगा, वो आपके लिए बोनस होगा।
इसलिए हमारा मानना है कि देश के आर्थिक विकास और उसके लाभ में हिस्सेदार बनने का यह अच्छा मौका है। अपना डिमैट खाता खुलवा डालिए और वित्त वर्ष की समाप्ति, 31 मार्च 2013 के पहले चुनिंदा शेयरों में निवेश कर दीजिए। इसमें सांस रोकने या दिल थामने की कोई जरूरत नहीं है। सेफ्टी ट्यूब के साथ आप पानी में कूद रहे हैं, डूबेंगे नहीं। हां, यार-दोस्तों या ब्रोकरों व एजेंटों की टिप्स के चक्कर में पड़े तो जरूर डूब सकते हैं। किन-किन शेयरों में निवेश करना है, यह हम आपको बराबर बताते रहेंगे। इस समय तीन सरकारी कंपनियों के नाम दिमाग में आ रहे हैं जिनमें निवेश एकदम सुरक्षित है। ये कंपनियां हैं – ओएनजीसी, एनएमडीसी और रूरल इलेक्ट्रीफिकेशन कॉरपोरेशन (आरईसी)। एनएमडीसी में तो ऑफर फॉर सेल भी आनेवाला है।
अंत में एक बात और। अगर आप राजीव गांधी इक्विटी स्कीम का लाभ लेने के लिए निवेश करते हैं तो आपको बराबर 50,000 रुपए का निवेश तीन साल तक बनाए रखना पड़ेगा। लेकिन एक साल के बाद आप मुनाफा बुक कर सकते हैं। मान लीजिए, आपने किसी शेयर में 50,000 रुपए का निवेश किया और वो साल भर में बढ़कर 75,000 रुपए का हो गया तो आप इसे बेच सकते हैं। लेकिन इस तरह मिले 75,000 रुपए में से 50,000 रुपए आपको फिर किसी ऐसे शेयर में लगा देने होंगे जो इस स्कीम की शर्तों को पूरा करते हैं। साथ ही जिस भी वित्त वर्ष में आपको कर-छूट पानी है, उसी वित्त वर्ष के दौरान किए गए निवेश पर आपको इस स्कीम का फायदा मिलेगा, उससे पहले किए गए निवेश पर नहीं। हमें नहीं लगता कि इससे किसी आम निवेशक को परेशानी होनी चाहिए। इसलिए, हमारा कहना कि मत चूको, चौहान। शेयर बाजार में सुरक्षित कूदकर सीखने-समझने और कमाने का ये एकदम सही मौका है।
Grindwell Norton