सरकार और सेबी दोनों दिखा रहे हैं कि वे शेयर बाज़ार में रिटेल निवेशकों की बढ़ती दुर्दशा से चिंतित हैं, खास तौर पर फ्यूचर्स व ऑप्शंस से उन्हें दूर रखना चाहते हैं। लेकिन उनके सारे उपाय महज जुबानी जमाखर्च हैं। दरअसल, वे नहीं चाहते कि आम निवेशक शेयर बाज़ार की इंट्रा-डे या एफ एंड ओ ट्रेडिंग से दूर हो जाएं क्योंकि ऐसा हो गया तो बाज़ार में सक्रिय मगरमच्छों के मुंह का निवाला छिन जाएगा और वे मासूम निवेशकों का शिकार नहीं कर पाएंगे। इस बार के बजट में एफ एंड ओ सौदों पर सिक्यूरिटीज़ ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) बढ़ा दिया गया है। लेकिन एफ एंड ओ सेगमेंट में एसटीटी केवल बेचने के सौदों पर लगता है, खरीदने पर नहीं, जबकि रिटेल ट्रेडरों की औकात ही नहीं होती कि वे फ्यूचर्स व ऑप्शंस बेच सकें। वे इन्हें केवल खरीदते हैं। सेबी अगर इंट्रा-डे सौदों में रिटेल निवेशकों को हो रहे भारी नुकसान को रोकना चाहती तो फौरन अपना वो नियम बदल देती जिसमें लिखा हुआ है कि भारतीय प्रतिभूति बाज़ार में केवल रिटेल या व्यक्तिगत निवेशकों को ही डे-ट्रेड या इंट्रा-डे ट्रेड करने की इजाजत है। अन्यथा, सेबी द्वारा यह रिपोर्ट निकालने का क्या मतलब जिसमें बताया गया है कि इंट्रा-डे सौदों में 100 में 71 व्यक्तिगत ट्रेडरों को घाटा उठाना पड़ता है। अब मंगलवार की दृष्टि…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...