रिजर्व बैंक कांख-कांखकर ब्याज दर बढ़ा रहा है क्योंकि उसे सरकार को बचाना है। अपने यहां सबसे ज्यादा कर्ज सरकार ही लेती हैं, खासकर आम लोगों की बचत योजनाओं का सारा का सारा धन वही डकार जाती है। ब्याज दर ज्यादा बढ़ गई तो सबसे ज्यादा बोझ सरकार पर पड़ेगा। शायद इसीलिए सरकार की कृपा पर रिजर्व बैंक में गवर्नर के पद पर तीन साल का एक्सटेंशन पानेवाले इतिहास के स्नातक शक्तिकांत दास भारतीय अर्थव्यवस्था के मौद्रिक पक्ष पर साहसिक कदम नहीं उठा पा रहे। वे सरकार को रिजर्व बैंक की संचित निधि देने में ज़रा-सा भी नहीं हिचकिचाते। साथ ही रिजर्व बैंक की स्वायत्तता की भी परवाह नहीं करते। उनकी तुलना में दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका का फेडरल बैंक साहसी कदम उठा रहा है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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