नए साल के दो हफ्तों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने उम्मीद से उलट हमारे शेयर बाजार में खरीदने से ज्यादा बेचने का सिलसिला जारी रखा है, जबकि इसी दौरान अमेरिका के केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व ने टैपरिंग या बॉन्ड बेचकर सिस्टम से धन निकालने के बजाय बॉन्ड खरीदकर सिस्टम में लगभग 31 अरब डॉलर डाले हैं। बॉन्ड खरीदने का मतलब है फेडरल रिजर्व की बैलेंस शीट का बढ़ जाना, जिसका सीधा रिश्ता है भारतीय शेयर बाज़ार में आते विदेशी धन का, जिसके दम पर निफ्टी-50 सूचकांक उछलता रहा है। दोनों का को-रिलेशन गुणांक 0.95 चल रहा है। फेडरल रिजर्व ने कैलेंडर वर्ष 2021 में अपनी बैलेंस शीट लगभग 20% बढ़ा ली, जबकि इसी दरम्यान हमारा निफ्टी-50 सूचकांक 23.79% बढ़ा है। अब सोमवार का व्योम…
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