अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों का अनुमान है कि रिजर्व बैंक 25 जनवरी को मौद्रिक नीति की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा में ब्याज दरें 0.25 फीसदी बढ़ा देगा। रेपो दर को 6.25 फीसदी के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 6.5 फीसदी और रिवर्स रेपो दर को 5.25 फीसदी के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 5.5 फीसदी कर दिया जाएगा। इस कदम का मकसद मुद्रास्फीति की बढ़ती दरों पर लगाम लगाना होगा।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के एक मत-संग्रह के मुताबिक आर्थिक विश्लेषक मानते हैं कि चालू साल 2011 में ब्याज दरों में कुल 0.75 फीसदी का इजाफा हो सकता है। यानी, दिसंबर 2011 तक रेपो दर 7 फीसदी और रिवर्स रेपो दर 6 फीसदी हो सकती है। बता दें कि रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर रिजर्व बैंक अमूमन रात भर के लिए बैंकों को उधार देता है, जबकि रिवर्स रेपो दर वह ब्याज दर है जो वह बैंकों द्वारा जमा की गई रकम पर देता है।
रॉयटर्स ने कुल 17 अर्थशास्त्रियों या आर्थिक विश्लेषकों से बात की। इनमें से 12 ने माना कि रिजर्व बैंक 25 जनवरी को ब्याज दरें 0.25 फीसदी या 25 आधार अंक (बेसिस प्वॉइंट) बढ़ा देगा। एक ने कहा कि यह वृद्धि 0.50 फीसदी या 50 आधार अंक हो सकती है, जबकि चार अर्थशास्त्रियों ने कहा कि ब्याज दरों में कोई तब्दीली नहीं की जाएगी।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्म कीर्ति जोशी का कहना है, “खाद्य वस्तुओं व ईंधन की मूल्य-वृद्धि का हाल का साप्ताहिक आंकड़ा दर्शाता है कि मुद्रास्फीति उतरने का नाम नहीं ले रही है। मुझे थोक मूल्य पर आधारित सकल मुद्रास्फीति के मार्च अंत तक 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद है।” उनके मुताबिक अप्रैल 2011 से शुरू हो रहे अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति की औसत दर 5.8 फीसदी रहेगी। हमें और आंकड़ों का इंतजार करना पड़ेगा। लेकिन अभी तो यही लगता है कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति को कसने का क्रम जारी रखेगा क्योंकि आर्थिक विकास दुरुस्त है, जबकि मुद्रास्फीति बढ़ी हुई है।
बता दें कि खाद्य मुद्रास्फीति दिसंबर मध्य तक दस हफ्तों के शिखर 14.44 फीसदी पर पहुंच चुकी है। सकल मुद्रास्फीति नवंबर में 7.48 फीसदी रही है। दिसंबर के आंकड़े 14 जनवरी को जारी किए जाने हैं। रिजर्व बैंक 25 जनवरी को मार्च 2011 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान भी बदल सकता है। वर्तमान अनुमान 5.5 फीसदी का है। इसे बढ़ाकर 6.5 फीसदी किया जा सकता है।
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक मार्च 2010 के मध्य से लेकर अब छह चरणों में ब्याज दरें 1.5 फीसदी बढ़ा चुका है। इस समय चूंकि बैंक रिजर्व बैंक से उधार ही ले रहे हैं, इसलिए रेपो दर ही नीतिगत ब्याज दर का काम कर रही है। अभी तक उम्मीद की जा रही थी कि वह अगले माह फरवरी तक अब ब्याज दरें नहीं बढ़ाएगा। लेकिन हाल के हफ्तों में मुद्रास्फीति की स्थिति देखने के बाद यह उम्मीद बदल गई है।
इधर बैंकों के लिए तरलता की स्थिति इस हफ्ते थोड़ी सुधरी दिख रही है। इस हफ्ते के पहले दिन 3 जनवरी को बैंकों ने रेपो के तहत रिजर्व बैंक से 1,03,510 करोड़ रुपए उधार लिए थे। लेकिन 4 जनवरी को यह राशि घटकर 69,275 करोड़ रुपए और 5 जनवरी को 62,130 करोड़ रुपए रह गई है। शायद यही वजह है कि ज्यादातर अर्थशास्त्री मानते हैं कि 25 जनवरी को रिजर्व बैंक कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) या नकद आरक्षित अनुपात को 6 फीसदी पर अपरिवर्तित रखेगा।