मुद्रास्फीति अनुमान के भीतर, चिंता तरलता की: रिजर्व बैंक

मई महीने में थोक मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति की दर भले ही 10.16 फीसदी हो गई हो। खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति 5 जून को बीते हफ्ते में 16.74 फीसदी से थोड़ा घटने के बावजूद भले ही 16.12 फीसदी पर हो। लेकिन मुद्रास्फीति के इस तरह दहाई अंकों में रहने की स्थिति को रिजर्व बैंक बहुत चौंकानेवाली बात नहीं मानता है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गर्वनर के सी चक्रबर्ती ने गुरुवार को मुंबई में आयोजित एक समारोह में कहा कि मुद्रास्फीति की मौजूदा दर अब भी रिजर्व बैंक के अनुमानों के भीतर ही है और कोई भी नीतिगत फैसला बदलती आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर किया जाएगा।

चक्रबर्ती ने कहा कि अगर हालात तेजी से बदलते हैं तो उसी के अनुरूप उपाय किए जाएंगे। जब उनसे पूछा गया कि क्या वर्तमान मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के अनुमानों से बाहर निकल चुकी है तो उनका कहना था कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। यह बैंक अनुमानों से बाहर नहीं है। गौरतलब है कि इधर फरवरी से लेकर मई तक थोक मूल्य सूचकांक पर अधारित मुद्रास्फीति की दर बराबर 10 फीसदी के आसपास या इससे अधिक रही है। इसी के आधार पर कयास लगाया जा रहा है कि रिजर्व बैंक 27 जुलाई को मौद्रिक नीति की पहली तिमाही से पहले ही ब्याज दरें बढ़ा सकता है। लेकिन रिजर्व बैंक अधिकारियों के रुख से लगता है कि इस समय तरलता का प्रवाह बनाए रखना उनकी पहली प्राथमिकता है।

रिजर्व बैंक द्वारा सरकारी बांडों की वापस खरीद के बारे में चक्रबर्ती ने कहा ऐसा बाजार में तरलता बनाए रखने के लिए किया जा रहा है। बता दें कि रिजर्व बैंक ने कल ही घोषित किया है कि सरकार 20,000 करोड़ रुपए के तीन तरह के सरकारी बांडों की वापस खरीद करेगी। इनमें से दो बांड को इसी साल परिपक्व हो रहे थे, जबकि एक तरह का बांड साल 2011 में परिपक्व होना था। यह खरीद कल, शुक्रवार से शुरू होगी। असल में इधर बैंकों के पास 3 जी व ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम लाइसेंस फीस के भुगतान और पहली तिमाही की एडवांस टैक्स अदायगी की वजह से तरलता की कमी हो गई है। रिजर्व बैंक लगातार इसी कोशिश में है कि कैसे इस कमी को पूरा किया जाए। इसी क्रम में उसने 28 मई से 2 जुलाई तक बैंकों को रेपो दर पर कुल जमा का आधा फीसदी तक उधार लेने की सुविधा दे रखी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *