सरकार विदेशी निवेशकों के बीच देश की छवि को बचाने और विपक्ष के हमले से बचने के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने पर मजबूर हो गई है। इसी कड़ी में बुधवार को सीबीआई ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के सिलसिले में पूर्व टेलिकॉम मंत्री ए राजा, उनके निजी सचिव आर के चंदोलिया और पूर्व टेलिकॉम सचिव सिद्धार्थ बेहुरा को गिरफ्तार कर लिया। इन तीनों पर पद का दुरुपयोग करते हुए 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में धांधली करने और कुछ कंपनियों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया गया है।
सीबीआई के इस कदम के बावजूद विपक्ष के हमलावर तेवर नरम नहीं पड़े हैं। संसद का बजट सत्र 21 फरवरी से शुरू हो रहा है। लेकिन विपक्ष 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) से कराने की मांग पर अडिग है, जबकि सरकार जेपीसी के पक्ष में नहीं है। संसद का शीतसत्र विपक्ष और सरकार के इस अड़ियल रवैये की भेंट चढ़ चुका है। हालांकि सरकार के तेवर इधर थोड़े नरम पड़े हैं और खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में छाए गतिरोध को दूर करने के लिए जेपीसी की मांग मान लेने का संकेत दिया है।
राजा की गिरफ्तारी को बीजेपी नेता अरुण जेटली ने ‘बहुत देर से की गई मामली कार्रवाई’ बताया और कहा कि सरकार ने दो-तीन साल तक इस घोटाले पर परदा डाले रखा और अभी पखवाड़े भर पहले ही नए टेलिकॉम मंत्री कपिल सिब्बल ने दावा किया कि कोई नुकसान हुआ ही नहीं। जेटली ने कहा, “इस सरकार के किसी भी कदम से भरोसा नहीं पैदा होगा। विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं है और हम 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले पर जेपीसी की मांग पर कायम रहेंगे।”
बीजेपी के अन्य नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस गिरफ्तारी के लिए सरकार को नहीं, सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया जाना चाहिए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई को 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर अपनी रिपोर्ट 10 फरवरी तक पेश करने की हिदायत दे रखी है। उसी दिन सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई भी होनी है। सीपीएम नेता सीताराम येचुरी भी राजा की गिरफ्तारी भर से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना था, “इस घोटाले की जड़ें काफी गहरी हैं। राजा की गिरफ्तारी से ही पूरी साजिश का खुलासा नहीं होगा। आनेवाले बजट सत्र में पार्टी पूरे मामले की जांच जेपीसी से कराने की अपनी मांग पर बनी रहेगी।”
सीबीआई ने बुधवार को सुबह राजा व उनके दो सहयोगियों को राजधानी दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय पर बुलाकर गिरफ्तार किया। इससे पहले मंगलवार को सीबीआई ने राजा के भाई ए के पेरुमल से भी पूछताछ की थी। बता दें कि भारी दबाव के बीच दो महीने पहले 14 नवंबर 2010 को राजा को केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। खास बवाल सीएजी की रिपोर्ट आने के बाद हुआ था, जिसमें कहा गया था कि 2जी स्पेक्ट्रम के गलत आवंटन से देश के खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
माना जा रहा है कि राजा की गिरफ्तारी के डीमके और कांग्रेस के राजनीतिक रिश्तों पर बुरा असर पड़ेगा। लेकिन कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी का कहना है कि इससे डीएमके व उनकी पार्टी के रिश्तों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उनका कहना था, “इस मामले की उचित तरीके से जांच-पड़ताल की जाएगी। कानून अपना काम कर रहा है और हम उसके रास्ते में कभी नहीं आएंगे। इससे डीएमके से रिश्तों पर असर नहीं पड़ेगा।”
मालूम हो कि डीएमके कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार का हिस्सा है और तमिलनाडु में अगले विधानसभा चुनाव इसी साल संभवतः मई तक होने हैं। इसलिए हो सकता है कि राजा की गिरफ्तारी को डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि ने मंजूरी दे दी हो ताकि वे चुनावों में किसी तोहमत से बच सकें।