सरकार की कथनी, करनी और सोच में भारी अंतर है। एक तरफ वह पूंजी बाजार को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना चाहती है, दूसरी तरफ पब्लिक इश्यू में उसने रिटेल (एक लाख रुपए से कम निवेश करनेवाले) निवेशकों की संख्या महज 35 फीसदी तक सीमित कर दी है, जबकि पहले क्यूआईबी (क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल खरीदार) जैसे बड़े निवेशक नहीं थे और पूरे के पूरे इश्यू पब्लिक के लिए ही थे। यह कहना है पूंजी बाजार से जुड़ी प्रमुख संस्था प्राइम डाटाबेस के सीईओ पृथ्वी हल्दिया का। उनका सवाल है कि सरकार सार्वजनिक उपक्रम के आईपीओ (शुरुआती पब्लिक ऑफर) और एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) को आम निवेशकों के लिए ही क्यों नहीं आरक्षित कर देती?
बता दें कि पृथ्वी हल्दिया इस समय कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के उस अभियान से गहराई से जुड़े हुए हैं जिसके तहत देश भर में निवेशकों को जागरूक बनाने का काम किया जा रहा है। बुधवार को मुंबई में उन्होंने कॉरपोरेट कार्य मंत्री सलमान खुर्शीद की मौजूदगी में उक्त सवाल उठाया। मालूम हो कि सरकार लिस्टेड कंपनियों में पब्लिक की न्यूनतम हिस्सेदारी 25 फीसदी करने का नियम बनाने के बाद बहुत सारे पीएसयू के एफपीओ लानेवाली है। साथ ही वह कोल इंडिया जैसी कंपनी का आईपीओ भी इसी साल सितंबर-अक्टूबर में ला रही है। चालू वित्त वर्ष में उसे सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश से 40,000 करोड़ रुपए जुटाने हैं।
इस समय शेयर बाजार में सक्रिय निवेशकों की संख्या महज दो फीसदी है। भले ही कुल डीमैट एकाउंट लगभग 1.70 करोड़ हैं, लेकिन इनमें से सक्रिय खातों की संख्या बमुश्किल 40 लाख है। पब्लिक इश्यू (आईपीओ और एफपीओ) इस समय क्यूआईबी और एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल्स) की बदौलत ही पूरे सब्सक्राइब हो रहे हैं। उनमें रिटेल निवेशकों का हिस्सा बड़ी मुश्किल से सब्सक्राइब हो पा रहा है। और, यह सिलसिला जनवरी 2008 में बाजार के गिरने के बाद से ही बदस्तूर जारी है।
मिंट में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि रिटेल निवेशक आईपीओ के चयन में तमाम विशेषज्ञों से ज्यादा समझदार और कामयाब रहे हैं। पिछले दो साल में आई 47 पब्लिक इश्युओं में जिन 20 इश्युओं में रिटेल निवेशकों का हिस्सा तीन गुना से ज्यादा सब्सक्राइब हुआ था, उस सभी के शेयर अभी ज्यादा दाम पर चल रहे हैं। इनमें से लगभग दो-तिहाई ने तो रिटर्न के मामले में सेंसेक्स को मात दे रखी है। जैसे मार्च में लिस्ट हुए एआरएसएस इंफ्रा प्रोजेक्ट्स ने सेंसेक्स से 152 फीसदी ज्यादा रिटर्न दिया है तो सितंबर 2009 में लिस्ट हुए जिंदल कोटेक्स ने अभी तक सेंसेक्स पर 59 फीसदी की बढ़त हासिल की है।
इन 20 कंपनियों ने सेंसेक्स से औसतन 28.3 फीसदी ज्यादा रिटर्न दिया है। 47 में से 13 कंपनियों के इश्यू एक से तीन गुना तक सब्सक्राइब हुए थे। उनका औसत रिटर्न सेंसेक्स से 5.3 फीसदी अधिक है। बाकी 14 कंपनियों में रिटेल निवेशकों का हिस्सा अंडर-सब्सक्राइब रहा था और इन सभी के शेयर सेंसेक्स की चाल से पीछे चल रहे हैं।