अमेरिका में ट्रम्प की जीत पर अपना शेयर बाज़ार ऐसा उछला जैसे इससे अर्थव्यवस्था में सुरखाब के पर लग गए हों। लेकिन अगले ही दिन सारा खुमार उतर गया। आईटी शेयरों की चमक भी फीकी पड़ गई। दुनिया जानती है कि ट्रम्प कुछ देता है तो उसके बदले में कहीं ज्यादा वसूल लेता है। यह भी कड़वी हकीकत है कि ट्रम्प के जीत से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत में वापसी नहीं करने जा रहे। वे तो अर्थव्यवस्था के सचमुच मजबूत होने पर ही लौटेंगे। भारत में घरेलू खपत व मांग के लाले पड़े हैं। पहली तिमाही में होम लोन बढ़ने के बजाय 9% घट गए। माल निर्यात में तो हम पहले से फिसड्डी चल ही रहे हैं। मोदीराज में वित्त वर्ष 2014-15 से 2023-24 तक दस साल में हमारा सेवा निर्यात मात्र 8.92% सालाना की दर से ही बढ़ा है, जबकि इससे पहले के दस साल में यह औसतन 14-15% सालाना की दर से बढ़ रहा था। आज सितंबर 2024 की तिमाही में इन्फोसिस जैसी आईटी कंपनी की आय साल भर पहली समान अवधि से महज 5.11% और शुद्ध लाभ 4.73% ही बढ़ता है तो इसके गंभीर निहितार्थ हैं। देश की समृद्धि नारों के आकाश में अटक गई है। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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