मेक्सिको के कानकुन शहर में चल रहे जलवायु सम्मेलन में भारत और चीन सहित कई प्रमुख विकासशील देशों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे कार्बन उत्सर्जन में कटौती के संबंध में कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते को स्वीकार कर लें। लेकिन भारतीय पक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि वह ऐसे किसी समझौते को तत्काल मानने को तैयार नहीं है।
इस सम्मेलन में अमेरिका, भारत और चीन कानूनी तौर पर बाध्यकारी समझौते को स्वीकार करने के पक्ष में नहीं हैं, हालांकि अन्य विकसित देश व अफ्रीकी राष्ट्रों समेत जी-77 समूह के अधिकांश देश ऐसे समझौते का समर्थन कर रहे हैं। उनकी कोशिश ‘बेसिक’ समूह के इन महत्वपूर्ण देशों को इस समझौते के लिए बाध्य करना है। इस समूह के दो देश ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका विकसित राष्ट्रों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं।
पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने बताया, ‘‘कई विकासशील देशों के जरिए विकसित देश भारत और चीन पर दबाव बनाने के लिए पुरजोर कोशिश में लगे हैं। बेसिक समूह के दो राष्ट्र ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका भी कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते का समर्थन कर रहे हैं।’’ लेकिन उन्होंने कहा कि बेसिक समूह के भीतर ही मतभेद हैं। इस मसले पर भारत और चीन एक साथ हैं जबकि ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका भी एकजुट हैं। हमारे ऊपर अफ्रीकी देशों और कुछ विकासशील देशों के माध्यम से विकसित देश दबाव बना रहे हैं।