राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल पुणे के खडकी कंटोनमेंट इलाके में सेना की 2.61 लाख वर्गफुट जमीन पर अपना निजी महलनुमा घर बनवा रही हैं। इसमें उनका बंगला 4500 वर्गफुट क्षेत्रफल में है। बाकी इलाके को घेरकर किलेबंदी कर दी गई है। पूरा भवन लगभग बनकर तैयार हो गया है। यह पूरी की पूरी जमीन भारतीय सेना की है जिसे पाने का हक राष्ट्रपति का नहीं है। कानूनन भारत का राष्ट्रपति रिटायर होने के बाद सरकार से अगर मांग करें तो उसे देश के किसी भी हिस्से में केवल 2000 वर्गफुट का बंगला दिया जा सकता है। अन्यथा उसे उपलब्ध होने पर लगभग 4500 वर्गफुट के सरकारी बंगले में रहना होगा।
राष्ट्रपति पाटिल की यह हरकत सेना के रिटायर्ड कर्नल सुरेश पाटिल, आरटीआई कार्यकर्ता अनूप अवस्थी और इंडियन एक्स-सर्विसमेन मूवमेंट (आईईएसएम) द्वारा सूचना अधिकार कानून के तहत हासिल जानकारी से उजागर हुई है। इनका आरोप है कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल जवानों और अफसरों के लिए निर्धारित जमीन पर कब्जा कर रही हैं। उन्होंने अपना आरटीआई आवेदन राष्ट्रपति कार्यालय को भेजा था। जहां से उनको जवाब मिला है कि प्रेसिडेंट पेंशन रूल, 1962 के अंतर्गत, “अगर सेवानिवृत राष्ट्रपति के लिए उपयुक्त सरकारी आवास नहीं उपलब्ध होता तो उनके लिए लीज पर लिये गए आवास का रिहाइशी क्षेत्रफल 2000 वर्गफुट से अधिक नहीं होना चाहिए।”
बता दें कि पुणे के जिस कंटोनमेंट इलाके में राष्ट्रपति पाटिल अपना आलीशान महल बनवा रही हैं, वह मूलतः मोर्चे पर सालोंसाल देश की सेवा करके लौटे जवानों के सपरिवार रहने के लिए है। लेकिन वहां जवानों के रहने की कोई दुरुस्त व्यवस्था नहीं है। इसलिए जवान या तो अपना परिवार नहीं ला पाते या एक कमरे में किसी तरह झुग्गीवासियों की तरह रहते हैं। वहां पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है।
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