चक्र का चक्कर प्रकृति में ही नहीं, शेयर बाजार में भी चलता है। बाजार सीधे नहीं भागता, बल्कि चक्रों में चलता है। जो उठा है, वो और उठने से पहले गिरेगा जरूर। इसे ही करेक्शन कहते हैं। इसी तरह कंपनी अगर मजबूत है और बढ़ रही है तो उसका गिरा हुआ शेयर जरूर बढ़ता है। हां, कंपनी ही अगर डूब रही है तो उसके शेयर को अंततः डूब जाने से ऑपरेटर भी नहीं बचा सकते। इसीलिए जिस तरह बैंक बराबर अपने डूबनेवाले ऋणों या एनपीए की शिनाख्त करते रहते हैं, उसी तरह ही हमें भी अपने पोर्टफोलियो से बिना कोई मोह पाले डूबनेवाली कंपनियों को निकालते रहना चाहिए। लेकिन आज हम किसी डूबनेवाली नहीं, बल्कि उभरनेवाली कंपनी का जिक्र करने जा रहे हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर उद्योग में पिछले तीन दशक से सक्रिय कंपनी, प्रतिभा इंडस्ट्रीज की चर्चा हमने इसी कॉलम में सोलह महीने पहले 8 नवंबर 2010 को की थी। तब इसका दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर 78.90 रुपए पर चल रहा था। उसी वक्त कंपनी अपने करीब 54.35 लाख शेयर प्राइवेट इक्विटी फर्म क्रिस कैपिटल को 92 रुपए की दर से बेचने जा रही थी। हमें लगा कि शेयर अगर इतना भी उठा तो निवेशकों को 16.5 फीसदी का फायदा कुछ ही महीनों में हो जाएगा। क्रिस कैपिटल से उसका सौदा बीस दिन बाद 30 नवंबर 2010 को पूरा हो गया। लेकिन शेयर ने उस दरमियान या उसके बाद बाजार में कभी भी 92 रुपए का मुंह नहीं देखा।
8 अप्रैल 2011 को यह शेयर 74 रुपए तक जा पहुंचा जो उसका 52 हफ्ते का ताजा शिखर बना हुआ है। इस बीच वो 19 दिसंबर 2011 को 27.80 रुपए की तलहटी बना चुका है। फिलहाल बीते हफ्ते शनिवार, 3 मार्च को उसका वही दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 532718) में 47 रुपए और एनएसई (कोड – PRATIBHA) में 47.35 रुपए पर बंद हुआ है। खरीद मूल्य के करीब 40 फीसदी नीचे। स्टॉप लॉस का नियम कहता है कि अगर कोई शेयर खरीद मूल्य से 25 फीसदी नीचे चला जाए तो घाटा खाकर भी उससे बाहर निकल जाना चाहिए। लेकिन नियम का यंत्रवत पालन हमें फायदे के बजाय नुकसान करा सकता है।
कम से कम प्रतिभा इंडस्ट्रीज के बारे में हमें यही लगता है। पिछले सोलह महीने में खास कुछ नहीं बदला है। बस बाजार ने उसे कम भाव देना शुरू कर दिया है। तब उसका शेयर ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) के आधार पर 12.22 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा था, जबकि इस समय उससे आधे से भी कम 5.73 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। तब उसका टीटीएम ईपीएस 6.46 रुपए था। अब बढ़कर 8.2 रुपए हो चुका है। इस शेयर की बुक वैल्यू 47.13 रुपए है जो उसके बाजार भाव के बराबर है। लंबे समय के निवेशकों को एक बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि अगर कंपनी बढ़ रही है तो उसके शेयर का भाव भी देर-सबेर वाजिब मूल्य हासिल करके ही रहेगा। इसलिए घबराकर उससे नहीं निकलना चाहिए।
बीते वित्त वर्ष 2010-11 में प्रतिभा इंडस्ट्रीज की परिचालन आय 25.69 फीसदी बढ़कर 1168.72 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 26.40 फीसदी बढ़कर 71.43 करोड़ रुपए हो गया। इसके बाद चालू वित्त वर्ष 2011-12 में उसका शुद्ध लाभ जून तिमाही में 14.71 फीसदी, सितंबर तिमाही में 20.13 फीसदी और दिसंबर तिमाही में 34.74 फीसदी बढ़ चुका है। दिसंबर 2011 तक के नौ महीनों में उसकी परिचालन आय 30.48 फीसदी बढ़कर 1147.12 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 22.80 फीसदी बढ़कर 54.06 करोड़ रुपए हो चुका है।
धंधे को आगे बढ़ाने के लिए कंपनी के पास पर्याप्त ऑर्डर हैं। अप्रैल से दिसंबर 2011 के बीच उसे 3350 करोड़ रुपए के नए ऑर्डर मिल चुके हैं। इनमें से 53 फीसदी ऑर्डर पानी की पाइपलाइन के, 37 फीसदी बिल्डिंग डिवीजन के और बाकी 10 फीसदी ऑर्डर शहरी इंफास्ट्रक्चर डिवीजन के हैं। कंपनी अपना सॉ (सब्मर्ज्ड आर्क वेल्डेड) पाइप बनाने का धंधा बेचकर खुद को शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर पर पूरी तरह क्रेंद्रित कर देना चाहती है। सॉ पाइप का धंधा बेचने से उसे करीब 110 करोड़ रुपए मिल जाएंगे। कंपनी तेल व गैस के सेवा क्षेत्र में उतरने की कोशिश में है। उसे अगले वित्त वर्ष में कम से कम इस क्षेत्र से 500 करोड़ रुपए का ऑर्डर पाने की उम्मीद है। वह ओएनजीसी और गुजरात स्टेट पेट्रोनेट के कुछ ऑनशोर प्रोजेक्ट पकड़ने पर खास जोर देगी।
ऐसे में साफ-साफ एक अच्छा भविष्य प्रतिभा इंडस्ट्रीज का दिख रहा है। इसलिए उससे निकलना मूर्खता होगी। बल्कि, यहां उसमें नई खरीद कर लेनी चाहिए। कंपनी की 19.88 करोड़ रुपए की इक्विटी में पब्लिक का हिस्सा 47.57 फीसदी और प्रवर्तकों का हिस्सा 52.43 फीसदी है। प्रवर्तकों ने अपना कोई भी शेयर गिरवी नहीं रखा है। कंपनी में एफआईआई का निवेश 16.80 फीसदी और डीआईआई का 5.40 फीसदी है। उसके कुल शेयरधारकों की संख्या 24,415 है। इनमें से 23,232 यानी 95.15 फीसदी एक लाख रुपए से कम लगानेवाले छोटे निवेशक हैं, जिनके पास कंपनी के 10.27 फीसदी शेयर हैं। कंपनी में प्रवर्तकों से अलग एक फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखनेवाले आठ निवेशक हैं जिनके पास उसके 32.55 फीसदी शेयर हैं। इनमें से प्राइवेट इक्विटी फर्म क्रिसकैपिटल के पास 9.96 फीसदी और सेक्वोइया कैपिटल के पास उसके 5.03 फीसदी शेयर हैं। कंपनी बराबर लाभांश देती रही है। उसका लाभांश यील्ड 1.29 फीसदी का है।