केंद्र सरकार ने कोल इंडिया को सख्त निर्देश दिया है कि वह बिजली कंपनियों को दीर्घकालिक कोयला आपूर्ति की गारंटी दे, नहीं तो उस पर पेनाल्टी लगाई जा सकती है। यह पहल सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से की गई है। निर्देश में कहा गया है कि कोल इंडिया 2015 में चालू की जानेवाले बिजली परियोजनाओं के साथ 20 साल तक ईंधन (कोयला) सप्लाई करने का करार करे।
बुधवार को जारी एक सरकारी बयान के अनुसार इससे देश में 50,000 मेगावॉट से ज्यादा बिजली पैदा की जा सकेगी। अभी तक कोल इंडिया ज्यादा से ज्यादा पांच साल तक कोयला देने का अनुबंध करती रही है। बता दें कि देश के कोयला उत्पादन में कोल इंडिया का एकाधिकार है। कुल उपलब्ध कोयले का 82 फीसदी उत्पादन अकेले यह कंपनी करती है।
सरकार के ताजा निर्देश की खबर मिलते ही निजी क्षेत्र की तमाम बिजली कंपनियों के शेयर छलांग लगा गए। रिलांयस पावर के शेयर में 12.9 फीसदी, टाटा पावर में 6 फीसदी और अडानी पावर में 13.78 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई। सरकार का यह फैसला बिजली कंपनियों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से गुहार लगाने का नतीजा है। ये लोग 18 जनवरी 2012 को प्रधानमंत्री से मिले थे। उनकी शिकायत थी कि कोल इंडिया सिर्फ 50 फीसदी कोयला आपूर्ति का आश्वासन देती है जिसके चलते अप्रैल 2009 से किसी करार पर हस्ताक्षर नहीं हो पाए हैं।
इसके बाद प्रधानमंत्री ने अपने प्रधान सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित कर दी। इस समिति ने तय किया है कि कोल इंडिया उन बिजली संयंत्रों के साथ करार पर हस्ताक्षर करेगा जिन्होंने विद्युत वितरण कंपनियों के साथ लंबी अवधि के समझौते कर लिए हैं। यह शर्त उन बिजली संयंत्रों पर लागू होगी जो चालू हो गए हैं या जिनमें 31 मार्च 2015 से पहले उत्पादन शुरू हो जाएगा। कोल इंडिया इन संयंत्रों को बीस सालों तक कोयला आपूर्ति की गारंटी देगी। अगर कोई कमी रह गई तो कोल इंडिया उसकी भरपाई कोयला आयात से करेगी।