पॉलिमेड: सावन हरे, न भादों सूखे

मित्रों, इस कॉलम में जब भी हम किसी शेयर में निवेश की सिफारिश करते हैं तो अक्सर आगाह करते रहते हैं कि खुद ठोंक-बजाकर देख लेने के बाद ही निवेश करें। जैसे, 11 अप्रैल 2011 को हमने यहां सुप्रीम इंडस्ट्रीज में निवेश की सलाह देने के साथ लिखा था, “कोई कंपनी जब अच्छी तरह में समझ में आ जाए, उसमें भावी विकास की गुंजाइश नजर आए, तभी उसके शेयरों में निवेश करें। हमारे या किसी और के कहने पर नहीं। इसके लिए खुद रिसर्च व तहकीकात जरूरी है। अगर यह नहीं कर सकते तो आपको शेयर बाजार में निवेश से दूर ही रहना चाहिए। लॉटरी या जुआ खेलने की मानसिकता से शेयर बाजार में निवेश नहीं हो सकता।”

सुप्रीम इंडस्ट्रीज के बारे में हमने जब लिखा था, तब उसका शेयर 155 रुपए पर था। करीब चार महीने बाद 24 अगस्त 2011 को 235 रुपए पर चला और फिलहाल 204 रुपए पर चल रहा है। हम कभी डंका नहीं पीटते कि हमने इतना फायदा करा दिया। हां, नुकसान होने पर हमें भी आपकी तरह अफसोस होता है और हम सोच में पड़ जाते हैं कि कहां चूक हो गई। लेकिन कुछ लोग जब खुद के लालच के फंसने की तोहमत हम पर मढ़ते हैं तो बड़ी तकलीफ होती है। खैर, यहां हर किसी को अपने कर्म का फल खुद ही भोगना पड़ता है। न तो मैं और न ही आप इसके अपवाद हैं।

एक कहावत आपने जरूर सुनी होगी कि सावन हरे, न भादों सूखे। शेयर बाजार में भी कुछ ऐसी सदाबहार कंपनियां हैं जिन पर आर्थिक सुस्ती का कोई खास फर्क नहीं पड़ता। वे निश्चिंत अंदाज में बढ़ती रहती हैं और उनका शेयर भी ऊंच-नीच से ऊपर उठकर संतभाव से चलता है। ऐसी ही एक कंपनी है पॉलि मेडिक्योर। यह 1995 से डिस्पोजेबल हेल्थकेयर उत्पाद बनाती है। इस समय वो ऐसे 75 से ज्यादा उत्पाद बना रही है। इसकी दो उत्पादन इकाइयां हरियाणा के फरीदाबाद और उत्तराखंड के हरिद्वार में है, जबकि तीसरी इकाई वह राजस्थान के जयपुर में लगा रही है।

पॉलि मेडिक्योर का दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल 11 अप्रैल 2012 को बीएसई (कोड – 531768) में 243 रुपए और एनएसई (कोड – POLYMED) में 240.65 रुपए पर बंद हुआ है। जानकारों का कहना है कि यह चार-पांच साल में दोगुना होने की सामर्थ्य रखता है। पॉलि मेडिक्योर एक स्मॉल कैप कंपनी है तो उससे जुड़े जोखिम भी इसके साथ नत्थी हैं। इसका बाजार पूंजीकरण (कुल जारी शेयरों की सख्या और शेयर के बाजार भाव का गुणनफल) इस समय मात्र 296 करोड़ रुपए है। कंपनी की 11.01 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों का हिस्सा 48.70 फीसदी है और बाकी 51.30 फीसदी सीधे पब्लिक के पास है। इसलिए इसका फ्री फ्लोट 152 करोड़ रुपए निकलता है।

कंपनी अपने उत्पादों की गुणवत्ता के प्रति इतनी संवेदनशील है कि उसके करीब 30 फीसदी कर्मचारी क्वालिटी चेक में ही लगे रहते हैं। उसके पास अपनी उन्नत आर एंड डी सुविधाएं हैं जिसे केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय का अनुमोदन मिला हुआ है। कंपनी का इरादा 2014 तक अपनी आय का 3 फीसदी भाग आर एंड डी पर खर्च करने का है। उसके फरीदाबाद संयंत्र को दिसंबर 2010 में अमेरिका के खाद्य व औषध प्रशासन (यूएस एफडीए) का अनुमोदन मिल चुका है। कहने का मतलब कि कंपनी देश से लेकर विदेश तक बढ़ने का सारा सरंजाम कर चुकी है। उसके धंधे का करीब 75 फीसदी हिस्सा निर्यात से आता है। इसमें भी 45 फीसदी अकेले यूरोप से आता है। वैसे तो हेल्थकेयर एक ऐसी चीज है जिसे मंदी से मंदी की हालत में भी नहीं छोड़ा जा सकता। लेकिन दुनिया के आर्थिक संकट का असर तो कंपनी पर थोड़ा-बहुत पड़ेगा ही।

ब्रोकरेज फर्म एडेलवाइस के डाटाबैंक के मुताबिक पिछले तीन सालों में कंपनी की बिक्री 24.34 फीसदी और शुद्ध लाभ 41.45 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है। हालांकि बीते वित्त वर्ष 2011-12 में प्रगति ठीकठाक नहीं रही है। जून 2011 की तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 9.45 फीसदी बढ़ा था। लेकिन सितंबर तिमाही में यह 1.85 फीसदी और दिसंबर तिमाही में 16.98 फीसदी गिर गया। 2010-11 में कंपनी ने 167.65 करोड़ रुपए की बिक्री पर 21.69 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। इस बार दिसंबर 2011 तक के नौ महीनों में उसने 150.71 करोड़ रुपए की बिक्री पर 14.12 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है।

दिसंबर 2011 तक के नतीजों के आधार पर उसका स्टैंड एलोन ईपीएस 19.28 रुपए निकलता है। इस तरह उसका शेयर इस समय 12.6 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। पिछले साल 28 जुलाई 2011 को यह 17.21 के पी/ई पर ट्रेड हुआ था और इसका शेयर 332.95 रुपए पर पहुंच गया था। उसके बाद यह 22 दिसंबर 2011 को गिरकर 172.10 रुपए (7.24 पी/ई) पर आ गया जो पिछले 52 हफ्ते का इसका न्यूनतम स्तर है।

एक स्तरीय इक्विटी रिसर्च फर्म के अनुसार वित्त वर्ष 2014-15 में पॉलि मेडिक्योर की बिक्री 387.6 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 48.8 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। इस पर उसका ईपीएस 44.3 रुपए निकलता है। इस तरह इसका शेयर इस समय तीन साल बाद के ईपीएस से 5.5 गुने यानी पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। इसलिए अभी खरीद लेने पर इसमें बढ़त की दोगुनी संभावना है। वैसे भी, कंपनी का इक्विटी पर रिटर्न 31.16 फीसदी और नियोजित पूंजी पर रिटर्न 27.63 फीसदी है। उसका ऋण-इक्विटी अनुपात भी 0.53 की स्वीकार्य सीमा में है।

कंपनी में एफआईआई या डीआईआई ने कोई निवेश नहीं कर रखा है। हां, पब्लिक के हिस्से की 51.30 फीसदी इक्विटी में से 41.16 फीसदी 83 कॉरपोरेट निकायों के पास है। इसमें से भी 38.46 फीसदी पूंजी सात फर्मों – पेंटागन बिल्डर्स, केजेएमसी फाइनेंशियल, अवेंतिस बिडफीड्स, सच्चीय एंटरप्राइसेज, विजन मिलिनियम एक्सपोर्ट्स, बीएस ट्रेड इनवेस्ट और अलेगनी फिनलीज के पास हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या मात्र 2242 है। इसमें से 2023 (90.23 फीसदी) एक लाख से कम लगानेवाले छोटे निवेशक हैं जिनके पास कंपनी के कुल 6.53 फीसदी शेयर हैं। कंपनी पिछले पांच सालों से लगातार हर साल लाभांश देती रही है। पिछले साल उसने दस रुपए के शेयर पर तीन रुपए (30 फीसदी) का लाभांश दिया था। लेकिन शेयर के बाजार भाव को देखते हुए उसका लाभांश यील्ड 1.23 फीसदी ही निकलता है। अंत में फिर वही बात कि निवेश खुद को समझ में आने पर ही करें। हमारे या किसी के कहने पर नहीं।

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