राजस्थान में महिला प्रधान बचत अभिकर्ता की नियुक्ति और उसकी नवीनीकरण प्रक्रिया दिन पर दिन जटिल की जा रही है। इस बार हर बचत अभिकर्ता को अपनी एजेंसी का नवीनीकरण कराने के लिए पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया गया है। इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को वर्षों से चली आ रही नवीनीकरण प्रक्रिया में ये बदलाव एकदम बेतुका और स्वार्थ से प्रेरित लगता है।
जनशिक्षा व जागरूकता के काम में लगे चुरु के जाने-माने सामाजिक कायकर्ता सुरेश कुमार शर्मा बताते हैं कि लगता है कि जैसे इस बचत संगठन के भीतर ही कोई एजेंटों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए बैठ गया है जो एजेंटों को इतना तंग कर देना चाहता है कि वे बाध्य हो कर अन्य प्राइवेट फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग करने लग जाएं।
जितने भी दूसरे वित्तीय संस्थान है वे नागरिक बचतों की सुरक्षा के लिए एजेंटों को इस प्रकार की हतोत्साहित करनेवाली प्रक्रिया से नही गुजारते। किसी महिला बचत अभिकर्ता का पुलिस वेरिफिकेशन कोई सरल प्रक्रिया नही है। दूरदराज के अल्प शिक्षित इलाकों में इन प्रक्रियाओं से गुजरना एक अपमानजनक और टेढी प्रक्रिया है।
श्री शर्मा का कहना है कि निश्चित ही संगठन के इस कदम से बचत अभिकर्ताओं का मनोबल गिरेगा और वे बाध्य हो कर अन्य बचत संगठनों की तरफ आकर्षित होंगे। डाक बचत पर इसका असर आने वाले समय में निश्चित रूप से देखने को मिलेगा।