कृषि मंत्री शरद पवार के बाद महाराष्ट्र व गुजरात के नेताओं के भी विरोध के चलते प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कपास निर्यात पर रोक लगाने के फैसले की समीक्षा का आदेश दिया है। बता दें कि वाणिज्य मंत्रालय के निर्देश पर विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इसी सोमवार, 5 मार्च को एक अधिसूचना जारी तक देश से कपास के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन अब प्रधानमंत्री ने कहा है कि 9 मार्च को मंत्रियों का समूह इस फैसले पर पुनर्विचार करेगा। तब तक इस पर अमल रुका रहेगा।
बुधवार को गुजरात और महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी के प्रभारी मोहन प्रकाश के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री ने यह निर्देश दिया। प्रतिनिधिमंडल ने कपास के निर्यात पर प्रतिबंध तुरंत हटाने का आग्रह किया। कृषि मंत्री शरद पवार ने भी इससे पहले कपास निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने का कड़ा विरोध किया और प्रधानमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया था। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोमवार को कपास निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद उसी दिन केंद्र सरकार को पत्र लिखकर भेजा था।
कृषि मंत्री पवार का कहना है कि वाणिज्य, उद्योग व कपड़ा मंत्रालय ने उन्हें अंधेरे में रखा और उन्हें इस फैसले का पता तब चला, जब सोमवार को डीजीएफटी ने अधिसूचना जारी कर दी। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे फैसले लेते समय उचित यह होता कि कीमत संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति या आर्थिक मामलों से जुड़ी मंत्रिमंडलीय समिति में चर्चा होती जैसा कि गेहूं, चावल और चीनी में होता है। इसलिए मैंने इस बारे में प्रधानमंत्री से बात की।’’
हालांकि, वाणिज्य व उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि यह फैसला उचित और सोच-समझ कर लिया गया है। उनका कहना कि निर्यात तय सीमा को पार कर चुका है। अगर इसे रोका न गया तो घरेलू कपड़ा उद्योग को कच्चे माल की तंगी का सामना करना पड़ेगा।