राज्यों को दस करोड़ नौकरियां बनाने की नसीहत दे डाली मनमोहन सिंह ने

आर्थिक ठहराव की शिकार अर्थव्यवस्था ने यूपीए सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राज्यों के सामने याचक या नसीहत देने की मुद्रा में खड़ा कर दिया है। उन्होंने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में राज्यों के मुख्य सचिवों से कहा कि वे इस बात पर सावधानी से विचार करें कि किस तरह राज्य राष्ट्रीय मैन्यूफैक्चरिंग नीति का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं। एक दशक में देश के सकल घरेलू उत्पादन में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के योगदान को 25 फीसदी तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे रोज़गार के 10 करोड़ नए अवसर पैदा होंगे।

प्रधानमंत्री ने राज्यों के मुख्य सचिवों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। लेकिन शायद वे एक बात भूल गए कि आर्थिक विकास नौकरशाही का नहीं, राजनीतिक नेतृत्व का मसला है और अगर मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का योगदान बढ़ाना है तो इसके लिए उन्हें राज्यों के सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों को तैयार करना पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि वैश्विक स्तर पर खराब स्थिति और देश में ऊंची ब्याज दरों के चलते चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 7 से 7.5 फीसदी पर आ जाने की उम्मीद है। पिछले वर्ष आर्थिक वृद्धि 8.4 फीसदी रही थी।

बीते वित्त वर्ष की 8.4 प्रतिशत की वृद्धि दर के बारे में डॉ. सिंह ने कहा कि संकटग्रस्त दुनिया को देखते हुए यह शानदार प्रदर्शन था। उन्होंने कहा, “कठिन आर्थिक माहौल, विशेषकर यूरो क्षेत्र के बढ़ते संकट के साथ साथ मौद्रिक नीति को सख्त किए जाने के कारण वृद्धि दर प्रभावित हुई है।” महंगाई के मोर्चे पर राहत मिलती दिख रही है। लेकिन खाद्य वस्तुओं की महंगाई पर अंकुश के लिए कृषि उत्पादन और उत्पादकता में निरंतर बढ़ोतरी जरूरी है।

उन्होंने कहा कि यहीं पर राज्य सरकारों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। प्रधानमंत्री ने राज्यों का आह्वान किया कि वे कृषि अनुसंधान में आधुनिक प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करें। इस क्षेत्र में सरकारी निवेश बढ़ाया जाए और कृषि विपणन प्रणाली में सुधार लाया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री यहीं पर मल्टी ब्रांड रिटेल को विदेशी कंपनियों के लिए खोलने के स्थगित एजेंडे पर भी काम करते नजर आए। उन्होंने कहा कि एपीएमसी (कृषि उपज विपणन कानून) की समीक्षा और उसमें संशोधन की जरूरत है। इससे किसान अपनी उपज को रिटेल दुकानों पर लाएंगे और रिटेलरों को सीधे किसानों से खरीद की सुविधा मिलेगी। इससे किसानों को बेहतर मूल्य मिल सकेगा, बरबादी कम होगी और खुदरा बाजार में कीमतों में प्रतिस्पर्धा आएगी।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के कंप्यूटरीकरण पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक वास्तविकता बन सकता है। इसके लिए पीडीएस को सुधारना होगा और इसमें तेज तथा प्रभावी तरीके से सुधार करना होगा। श्री सिंह ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में कमी एक अन्य चिंता की वजह है। यह देश के विकास को आगे बढ़ाने की राह में एक बड़ी बाधा है। प्रधानमंत्री ने राज्यों से सड़कों, राजमार्गों और सिंचाई सुविधाओं पर ज्यादा जोर देने को कहा। उन्होंने मुख्य सचिवों का ध्यान कौशल विकास के महत्व की ओर भी दिलाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2018 तक देश को 26 करोड़ कुशल कामगारों की जरूरत होगी।

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