रूस में जन्मे और अब ब्रिटेन के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में कार्यरत दो वैज्ञानिकों को हैरतअंगेज गुणों वाले एक पदार्थ पर अभूतपूर्व काम करने के लिए वर्ष 2010 में भौतिक शास्त्र का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से देने की घोषणा की गई है।
ग्राफीन पर किए गए अनुसंधान के लिए आंद्रे जीम और कोंसटान्टिन नोवोसेलोव को नौ लाख पाउंड का यह पुरस्कार देने की घोषणा की गई। डॉ. जीम ने इस समाचार पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा, ‘‘मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं। मैं अच्छे से सोया। मुझे उम्मीद नहीं थी कि इस साल का नोबेल पुरस्कार मुझे मिलेगा।’’
सामान्य कार्बन की एक पतली परत, जो सिर्फ एक अणु की मोटाई वाली है, इस पुरस्कार के पीछे है। नोबेल पुरस्कार समिति द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, दोनों वैज्ञानिकों ने यह प्रदर्शित किया है कि इस प्रकार के चपटे आकार में कार्बन के विस्मयकारी गुण होते हैं जो अणु भौतिकी की विलक्षण दुनिया से आते हैं।