पति-पत्नी और पटनी के प्रवर्तक

एसएमसी ग्लोबल सिक्यूरिटीज के रणनीतिकार और रिसर्च प्रमुख जगन्नाधम तुनगुंटला पटनी कंप्यूटर सिस्टम्स पर कब्जा जमाने की कोशिशों को लेकर बड़ा मजेदार सवाल उठाते हैं कि आखिर इन पत्नी (Patni) का पति कौन होगा? जवाब आ चुका है, हालांकि इसकी पुष्टि होनी बाकी है। खबरों के मुताबिक नास्डैक में लिस्टेड कंपनी आईगेट पटनी को 100 करोड़ डॉलर में खरीदने जा रही है। कितना अजीब संयोग है कि पटनी के एक पूर्व कर्मचारी एन आर नारायण मूर्ति ने वहां से निकलकर इनफोसिस बना डाली और अब इनफोसिस का ही एक पूर्व कर्मचारी फणीश मूर्ति पटनी को खरीदने जा रहे हैं। पटनी, इनफोसिस और मूर्ति का यह कैसा गोल-गोल चक्र है भाई!

यूं तो पटनी कंप्यूटर (बीएसई – 532517, एनएसई – PATNI) फणीश मूर्ति ही नहीं, हमारे-आपके निवेश के लिए भी माफिक है। 50.81 रुपए का टीटीएम ईपीएस, 278.25 रुपए की बुक वैल्यू और शेयर का भाव 471.75 रुपए यानी वह मात्र 9.29 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। सामान्य रूप से ऐसे स्टॉक में निवेश करना किसे नहीं भाएगा। लेकिन पटनी का मामला अब सामान्य नहीं रह गया है। प्रवर्तक अपनी सारी हिस्सेदारी बेचकर कंपनी को गैर के हवाले कर रहे हैं। इसलिए निवेश के फैसले से पहले हमें कुछ खास पहलुओं पर गौर कर लेना चाहिए।

खबरों और बाजार की अपेक्षाओं के मुताबिक आईगेट और अपैक्स का कंसोर्टियम पटनी के लिए प्रति शेयर 525 से 550 रुपए देने को तैयार हैं। प्रवर्तक पटनी बंधु अपनी पूरी की पूरी 45.88 फीसदी इक्विटी बेचने जा रहे हैं। साथ ही प्राइवेट इक्विटी फर्म जनरल एटलांटिक भी अपना 2.10 फीसदी निवेश निकाल रही है। प्रवर्तकों के खाते के 6.01 करोड़ शेयरों में से तीनों भाइयों नरेंद्र, गजेंद्र और अशोक पटनी के पास लगभग बराबर-बराबर हिस्सेदारी है। इसलिए उनमें से हर एक को पूरे सौदे से मिलनेवाले 3155 करोड़ से 3300 का एक तिहाई हिस्सा (1100 करोड़ रुपए) मिल जाएगा।

जनरल एटलांटिक के लिए भी यह जबरदस्त मुनाफे का सौदा होगा। उससे साल 2002 में पटनी कंप्यूटर के शेयर 133 रुपए के भाव से खरीदे थे। इसके बाद से उसे प्रति शेयर 79.50 रुपए का लाभांश मिल चुका है। अब उसे अगर हर शेयर का दाम 525 रुपए मिलता है तो सोचिए आठ साल में उसका कुल रिटर्न 355 फीसदी हो जाता है। इसलिए उसकी मौज है। प्रवर्तकों की तो मौज इसलिए भी बढ़ जाती है कि उन्हें कंपनी खरीदने वाले से ‘नॉन-कम्पीट’ फीस अलग से मिलेगी। 525-550 रुपए मूल्य में से इसका कितना हिस्सा होगा, यह तो शेयर खरीद समझौते के बाद ही सामने आने के बाद ही पता चलेगा। लेकिन इतना तय है कि अगले हफ्ते हस्ताक्षर की जानेवाली डील में ऐसा प्रावधान है कि पटनी के प्रवर्तक कम के कम अगले दो सालों तक सॉफ्टवेयर बिजनेस में नहीं उतरेंगे।

हमारे-आप के लिहाज से असली सावधानी यहीं बरतनी है। प्रवर्तकों को तो नॉन कम्पीट फीस मिल जाएगी। लेकिन उसके बाद का ओपन ऑफर उससे कम का रहेगा। आपको याद होगा कि वेदांता-केअर्न की डील में जहां प्रवर्तकों को प्रति शेयर 405 रुपए मिलेंगे, वहीं आम निवेशकों को 355 रुपए क्योंकि इसमें 50 रुपए की नॉन-कम्पीट फीस है। सेबी की नई अधिग्रहण संहिता में प्रस्ताव है कि आम निवेशकों व प्रवर्तकों को एक समान मूल्य मिले। लेकिन यह अभी तक लागू नहीं हुई। फिलहाल मौजूदा नियमों में ऐसी कोई बाध्यता या प्रावधान नहीं है। और, आईगेट जबरदस्ती क्यों ज्यादा खर्च करना चाहेगा?

बाजार को इस बात का अहसास है। यही वजह है कि डील के चर्चा में आने के बाद से यह शेयर या तो स्थिर है या गिर रहा है। सोमवार को यह 486.40 रुपए पर स्थिर रहा और मंगलवार को 3.01 फीसदी गिरकर 471.75 रुपए पर बंद हुआ। जो लोग सोचते हैं कि अभी खरीद कर ओपन ऑफर में बेचकर फायदा कमा लेंगे, उनकी सोच व्यावहारिक नहीं लगती क्योंकि ओपन ऑफर मौजूदा भाव के आसपास ही रहने की उम्मीद है। इसलिए हमारे-आप जैसे आम निवेशकों को पटनी के सौदे की चकाचौंध में नहीं फंसना चाहिए। हां, तमाशा दूर से जरूर देखते रहना चाहिए।

2 Comments

  1. I have purchased 10 shares at rs 489 what i should do? Either hold or book loss please advice me thanks in anticipation

  2. अशोक जी, मेरी व्यक्तिगत राय है कि जब तक कोई कंपनी डूब न रही हो, तब तक उसके शेयर में लॉस बुक नहीं करना चाहिए। शेयर में निवेश ही फायदा कमाने के लिए है। मैंने सत्यम 400 के ऊपर लिया था। अभी तक बना हूं। बीच-बीच में नई खरीद से एवरेजिंग कर ली। आखिर कभी न कभी तो शेयर बढ़ेगा। यही हाल डीएलएफ में निवेश का है। तो, मेरा कहना है कि आप पटनी कंप्यूटर में बने रहें। जब भी 20 फीसदी तक का लाभ दिखे तो निकल लें। वैसे भी इसमें ओपन ऑफर आने तक का इंतजार करना ही चाहिए।

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