सेंसेक्स हो, निफ्टी हो या हो म्यूचुअल फंड, जोखिम से जुड़े हुए इन बाजार आधारित निवेश विकल्पों ने इस साल जून से ही दिल गार्डन-गार्डन कर रखा है। अब आगे बाजार क्या रुख ले रहा है, इसकी खलबली, भविष्यवाणी सब चल रही है एक साथ। अगले कुछ महीनों में बाजार क्या रहेगा? खलबली क्यों है, बाजार आधारित इस जोखिम भरे स्टॉक या शेयर बाज़ार में निवेश के सुखद अवसर बना रहे कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात करते है।
सबसे पहले तो ये समझें कि यहां सबका दिन आता है। बुल्स या तेजड़ियों का दिन आया तो बियर्स या मंदड़ियों का भी आएगा। इस समय के बाजार को लम्बे निवेश के लिए थोड़ी-बहुत रकम के साथ सही कम्पनी या फण्ड में नया निवेश करें। पहले से निवेश कर रखा है तो उस पर बने रहें। तुलना भी कर लें कि इसी साल के जून से अभी तक की परफॉरमेंस क्या रही है आपके फंड या स्टॉक की? ये मार्केट भाव एक पैरामीटर होता है। अब से छह महीने बाद, यही निवेश गिरता दिखे तब भी उस निवेश पर टिके रहिएगा, अतिरिक्त धन हो तो ही थोड़ी और खरीद कर लेना। तय मानिए कि यह एक अच्छा टाइम-फ्रेम होने जा रहा है। दरअसल अगले चार-पांच साल सही स्टॉक या फंड में निवेश अच्छा रिटर्न दे सकता है।
सब कहानी–सी है बाजार, भाव व जिंदगी तक
इस वक्त की अफरातफरी का आलम है। आधी दुनिया मंदी से और आधी महंगाई से परेशान है। हर कोई करेंसी के अप डाउन को लेकर चिंतित है और कोई भी इस बारे में बात नहीं कर रहा कि भारत में बॉन्ड यील्ड कैसे बढ़ी है। जो भी है हम बुरे को बेहतर होने से पहले खराब होते देख सकते हैं! ये बड़ी चिता का विषय है। ‘अर्थकाम’ पर जब बात लम्बी अवधि के निवेशकों के लिए अच्छी योजना बनाने की हो तो इन चिंताओं को भी समझने की आवश्यकता है। ये कोई लेख नहीं, कहानी है। ठीक वैसी जैसे युद्ध के मैदान में सेना को लीड करने वाला लीडर अपने सैनिको में जोश भरता है। एक बात जान लें कि बाजार ही क्या हर सिस्टम चढ़ता है तो गिरता है, मजबूत बैकग्राउंड होगी तो फिर उठेगा और पिछले प्राइस से भी उपर! बस ऐसे ही ये चक्र चलता है यही शेयर बाज़ार का चक्र है और मुनाफा बनता है स्टॉक बाजार में इन्हीं चक्रों के दौरान। हम कहानी ही सुनाते हैं क्योंकि गिरता बाज़ार लम्बी अवधि के दृष्टिकोण से निवेशक के नजरिये को बदल देती है। सही शब्दों में कहें तो मनोबल तोड़ देती है।
अब असल बात पर गौर करें तो आज स्टॉक मार्केट जिस वैल्यूएशन पर कारोबार कर रही है या जो सेंसेक्स या निफ्टी का भाव चल रहा है उससे जुड़े भारतीय बाजार, उद्योग, व्यापार बेहद सतर्क हैं। इसमें दो राय नहीं है। पर दुनिया अव्यवस्थित है, ऐसी बहुत सारी चिंताएं, विषय, घटनाएं हैं और ये तो आप भी समझ सकते है कि भारत इन सभी वैश्विक मुद्दों से अलग नहीं रह सकता है। ऐसे कुछ मुद्दे हैं मुद्रास्फीति यानी महंगाई, मंदी, ब्याज दरें, युद्ध और उसकी ललकार।
अव्यवस्थित परिवर्तन या अस्थिरता अपना खुद का अवसर पैदा करती है। आज हम स्पष्ट रूप से एक सुंदर मोड़ पर हैं जहॆ देश के विकास और सरकार के प्रयास अगले कुछ सालों में अच्छे आर्थिक सुधार में परिणत हो सकते है। वैसे भी कोविड के बाद हम आर्थिक सुधार के मामले में सबसे निचले स्तर पर हैं। अनुभव बताता है कि बाजार आधारित अस्थिरता लम्बी अवधि के निवेशकों के लिए एक प्राकृतिक अवसर पैदा करती है।
बढ़ी मार्केट में खरीद, ओवरबॉट नहीं है क्या?
दुकान, बाजार, स्टॉक्स सभी जगह नियमित होना जरूरी है। इस समय बैंकिंग क्षेत्र को काफी सकारात्मक तौर पर देखे, आईसीआईसीआई बैंक आउटपरफॉर्मेंस के मामले में शीर्ष पर है। कुछ ट्रिमिंग होती है पर जरूरी नहीं कि बैंक पर ही विचार हो। भारतीय विकासगाथा का रुख अभी जारी है। हम मानते हैं कि बैंक आर्थिक सुधार के बड़े लाभार्थी होंगे। दूसरी ओर बैंकों की बैलेंस शीट अब बहुत साफ हो गई है और यहीं आगे बढ़ने के लिए, एक शब्द में कहे तो विकास की गति में बैंक पहिये जैसे काम करेंगे।
बस बाजार के उतार-चढाव से इतर आप एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखें। सही रिसर्च का सहारा लें। फण्ड या स्टॉक उम्मीद मुताबिक़ रिजल्ट न दे तो ऐसी स्थिति में स्वाभाविक तौर पर स्विच, शिफ्ट या बेचने की सोचते हैं आप? पर जब फण्ड/स्टॉक सही रिसर्च किया हैं तो पुनर्मूल्यांकन करें, तुलना करें उसी श्रेणी के अन्य स्टॉक या फण्ड की स्तिथि से। दूसरे फण्ड/स्टॉक अच्छे मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे हों और आपका नहीं तो वहां कुछ सीमा का परिवर्तन विचार करनेवाला हो सकता है। अन्यथा अच्छा या बुरा, हर समय आता-जाता रहता है।
क्या अगले कुछ महीनो में गिरावट तय है?
मोटे तौर पर सकारात्मक दृष्टिकोण रखें। शहरी खपत एक लोकप्रिय विषय बना हुआ है। वर्तमान परिवेश में ब्रांड पसंद किये जा रहें हैं। ब्रांड का दम रखनेवाली कंपनियां नए स्टोर खोलने की घोषणा कर रही हैं। उनके पास वास्तव में अच्छी योजनाएं हैं जो हमें निवेशक के तौर पर यह विश्वास भी दिलाती हैं कि एक अच्छा अवसर है। लोग इनमें से कुछ गतिविधियों पर खर्च कर रहे हैं और ये लम्बी अवधि में विकास के लिए अच्छे रनवे की ओर ले जाने वाले हैं।
आईटी सेक्टर रडार पर!
हम सेक्टर पर ‘काक चेष्ठा वको दृष्टि’ रखे हुए हैं क्योंकि हमारा आपका ये संवाद और फिर इसका ब्रॉडकास्ट इसी सेक्टर के माध्यम से सम्भव है। इसी वजह से आईटी सेक्टर आगे चलकर एक बड़ा लाभार्थी बनने जा रही है! अभी मिडकैप आईटी पंख पसारे उड़ने को हैं, कयोंकि पिछले कई वर्षों से आईटी क्षेत्र के विकास मैपिंग देंखे तो आईटी एक बड़े चक्र से गुजरा है, जिसमें हमने कोविड के बाद बहुत मजबूत विकास और मार्जिन देखा है। कम लागत वाले वातावरण के कारण कंपनी को लाभ हुआ है और अब जब हम मंदी की मंदी से संबंधित जोखिम को देखते हैं तो उसमें से कुछ उलट जाता है। लागत वसूली और मार्जिन को थोड़ा कम करते हुए देखते हैं तो आईटी वैल्यूएशन रिकॉर्ड ऊंचाई तक बढ़ते देखा है। आईटी क्षेत्र के लिए अभी का समय दीर्घकालिक दृष्टिकोण से काफी मजबूत है, धीमी वैश्विक अर्थव्यवस्था के मामले में भी।
कारोबारी बात करें तो टाइल निर्यात के लिए यह सबसे अच्छे वर्षों में से एक हो सकता है क्योंकि विश्व स्तर पर इसके विनिर्माण की लागत उच्च ऊर्जा कीमतों के कारण बहुत अधिक है। यह परिवर्तन देश के टाइल सेक्टर को फायदे के तौर पर जरुर हो सकता है। यही कुछ विशेष महत्वपूर्ण रासायनिक उत्पाद के मूल्य में भी देखने का मिल रहा है। यूरोप अब वास्तव में व्यापार के मामले में मानचित्र पर नीचे की ओर देख रहा है। वहां मैन्यूफैक्चरिंग में बढती लागत मैट्रिक्स और मूल्य असंतुलन प्रोडक्शन रुकने और फिर ठप्प होने का प्रमुख कारक हो रहा है। ऐसे में सुअवसर भारतीय कंपनियों के सामने थाली परोस कर आ सकते हैं। संभव है कि लागत निकालने के लिए यूरोपियन कंपनियां जो निर्णय ले, वह आउटसोर्सिंग के रूप में देशी कंपनियों को लाभान्वित करने वाला हो।
यह सब देखते हुए अब से छह महीने का आकलन करें तो अमेरिका व चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को मंदी का सामना करना पड़ सकता है। इसका सीधा सम्बन्ध धीमी मांग से है। जहां तक आपूर्ति श्रृंखला या सप्लाई चेन का संबंध है तो हमने देखा है कि समय के साथ मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा है और सप्लाई चेन पर अभी भी रिपेयरिंग चल रही है। गौरतलब है कि इस श्रृंखला से जुड़े लोग अब ऐसी पाइपलाइन का निर्माण कर रहे हैं जो यह सुनिश्चित करे कि आपूर्ति श्रृंखला भविष्य में इन बाधाओं से प्रभावित न हों। प्रयास अच्छे हैं। पर फिलहाल यह सब मंदी का कारण बना रहेगा।
इसलिए संभवत: छह महीने बाद चीजें बहुत भिन्न हो सकती हैं। गुजरे वक्त की सीख है कि महंगाई को अच्छी आपूर्ति और मांग में कमी तोड़ देती है। वैसे यह भी सच है कि दुनिया बहुत तेजी से बदलने वाली है और इसे समझना बहुत मुश्किल होने वाला है। सबसे अच्छा तरीका उन श्रेणियों और खंडों को देखना है, जिन्होंने वैश्विक स्तर पर अच्छी प्रतिस्पर्धा हासिल की है और जहां मूल्यांकन ठीक है। बस निवेशित रहें। त्योहारी मौसम में खुद को व्यस्त रखें दीवाली हो या दशहरा या क्रिसमस या नया साल।
त्योहारी मौसम में कीमतें कैसे कम होने जा रही हैं?
ऐसा ऑटो सेक्टर में ऐसा हो रहा है? पिछले तीन-चार महीनों में, ऑटो सेक्टर ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। पहले मांग में बेहद मामूली वृद्धि का माहौल था और दूसरे यह कमोडिटी गिरावट पर थी तो मार्जिन में करेक्शन आवश्यकता बन गई जिसका असर संख्याओं के अच्छे प्रदर्शन से परिलक्षित होता है। अभी इन सेक्टर में मात्र रुझानों की शुरुआत है। सुधार होगा तो यह बाजार में होनेवाले परिवर्तनों में भी दिखाई देने लगेगा।
ऑटो कोई उठता सेक्टर है?
निश्चित रूप से। ऑटो सेक्टर दशक के निचले स्तर पर है। 2017 से 2022 इस सेक्टर के सूचकांक कुल 19% की बढ़त रही, जबकि इसी अवधि में बीएसई 80% की बढ़त बनाकर चला। ऑटो की तरह अन्य सेक्टर्स पर यह चक्रीय सुधार नजर रखने लायक होगा। देखा गया है कि जब सेक्टर का व्यापार चक्र निम्न स्तर पर होता है तो करेक्शन आता है और चक्र अगले दो या तीन सालों में बदल जाता है, मांग वापस आने लगती है।
ऑटो अच्छा प्रदर्शन करेगा?
अति बाजार का स्वभाव नहीं है। चाहे गिरावट हो या बढ़त, थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि टेक्नोलॉजी के लिहाज से यह परिवर्तनकाल है, सभी उद्योग क्षेत्रों में ऐसा हो रखा है। विद्युत वाहन गति पकड़ रहे हैं और ऑटो सेक्टर का विकास विभिन्न व्यवसायों के आकलन पर भी निर्भर करता है ताकि व्यवसाय बाधित न हो।
अंत भला तो सब भला!
आप खुद दो दशकों का ट्रेन्ड देखें, बाजार में सही रिसर्च पर निवेशित रहे और अब से ठीक छह महीने बाद अगर निवेश की वैल्यू आपको नाखुश करे तो सलाह है कि कृपया अपनी निवेश अवधि बढ़ा दें क्योंकि यह एक अच्छी यात्रा होने वाली है। एकबारगी बाजार भयभीत करने वाली घटनाएं देखा सकता है। नीर-क्षीर विवेक फोल्डिंग वाली खटिया के माफिक रात को तनी और सुबह खुली। लेकिन किसी को इक्विटी में निवेशित रहना होगा। मेरा मानना है कि अगले चार-पांच साल निवेश के लिए काफी अच्छे हैं।
- शक्ति शुक्ला (लेखक उत्तर प्रदेश में सक्रिय एक वित्तीय सलाहकार हैं)