जहां कम पता लगाया जा सकता है और अनिश्चितता ज्यादा होती है, वहां ज्यादा रिस्क होता है और जहां ज्यादा पता लगाया जा सकता है, वहां अनिश्चितता कम होने के साथ ही रिस्क भी घटता जाता है। इस पैमाने पर कसें तो लम्बे समय के निवेश में ज्यादा जानकारी के बल पर रिस्क घटाया जा सकता है। सवाल उठता है कि शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग में रिस्क को न्यूनतम कैसे किया जाए क्योंकि हर कामयाब ट्रेडर का मोटो होता है – न्यूनतम रिस्क में अधिकतम रिटर्न। ट्रेडिंग की टेक्निकल चीजें तो अपने ब्रोकर से आसानी से सीखी जा सकती हैं। एंट्री, एक्ज़िट से लेकर स्टॉप-लॉस लगाने की तरीका सीखा-समझा जा सकता है। टेक्निकल एनालिसिस के गुर भी जानना-समझना मुश्किल नहीं है। असली मसला है सही स्टॉक्स का चुनाव? अब सोमवार का व्योम…
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