हिंदुस्तान यूनिलीवर ने अपने शेयर 280 रुपए के मूल्य पर वापस खरीदने या बायबैक का प्रस्ताव रखा है। कनानिधि मारन ने स्पाइसजेट की 20 फीसदी इक्विटी खरीदने का ओपन ऑफर पेश किया है। इधर न्यूनतम 25 फीसदी पब्लिक होल्डिंग के अनिवार्य नियम के बाद कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने शेयरों को स्टॉक एक्सचेंजों से डीलिस्ट कराने के बारे में सोच रही हैं। आखिर क्या है यह बायबैक, ओपन ऑफर और डीलिस्टिंग? आप इनमें कैसे शिरकत कर सकते हैं?
ओपन ऑफर में अधिग्रहण करनेवाला अखबारों में 20 फीसदी शेयर खरीदने की सूचना छपवाता है, जिसमें मूल्य भी तय रहता है। यह लेटर ऑफ ऑफर सेबी की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होता है। अगर शेयरधारक होने के नाते आपको लेटर ऑफ ऑफर नहीं भी मिलता तो आप अपना आवेदन शेयरों के पूरे विवरण, डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (डीपी) के नाम व आईडी के साथ ओपन ऑफर के रजिस्ट्रार के पास भेज सकते हैं। हां, आपको इसे नियत तारीख से पहले भेज देना होता है। पूरा ब्योरा आप सेबी की साइट पर देख सकते हैं।
इसी तरह बायबैक में कंपनी अपने शेयरधारकों के पास पत्र भेजती है। अगर आपको यह नहीं मिलता तब भी ओपन ऑफर जैसा तरीका अपना सकते हैं। लेकिन इससे पहले आपको कंपनी के बायबैक की पूरी घोषणा को पढ़ना पड़ेगा ताकि आप पूरी प्रक्रिया को आसानी से समझ लें।
कंपनी किसी स्टॉक एक्सचेंज से अपने शेयरों को डीलिस्ट कराने की सूचना भी शेयरधारकों के पास भेजती है। अगर यह सूचना ऑफर के साथ आपको नहीं मिलती तो इसमें भी ऊपर लिखी प्रक्रिया अपनाई जाती है। सेबी के डीलिस्टिंग रेगुलेशन, 2009 के अनुसार अगर आप किसी वजह से कंपनी के डीलिस्टिंग ऑफर में भाग नहीं ले सके, तब भी आप संबंधित स्टॉक एक्सचेंज से कंपनी के शेयर डीलिस्ट कराने की तारीख के एक साल के भीतर अपने शेयर कंपनी को ऑफर में निर्धारित मूल्य पर बेच सकते हैं। कंपनियों की डीलिस्टिंग की सारी जानकारी आको स्टॉक एक्सचेंजों की वेबसाइट से मिल जाती है।
सवाल उठता है कि आपने टेकओवर ऑफर में अपने शेयर कंपनी के हवाले कर दिया, लेकिन आपको भुगतान नहीं मिला तो क्या किया जा सकता है? क्या आपको अधिग्रहणकर्ता इस देरी का हर्जाना देगा? नियम यह है कि जिन भी शेयरधारकों की ओपन ऑफर में शेयर देने की पेशकश स्वीकार की जाती है, उन सभी को अधिग्रहणकर्ता की तरफ से तय मूल्य का भुगतान करना होता है। ऐसा न करने पर सेबी की तरफ से उस पर जुर्माना लगाया जाता है। वैसे, आपको भुगतान नहीं मिला है तो आप ऑफर के मर्चेंट बैंकर या रजिस्ट्रार से संपर्क कर सकते हैं। अगर वे भी कुछ नहीं करते तो आप सीधे सेबी से शिकायत कर सकते हैं।
आप यह भी पूछ सकते हैं कि क्या बायबैक, ओपन ऑफर या डीलिस्टिंग में आपको अपने शेयर देने जरूरी हैं? तो इसका जवाब है नहीं। ओपन ऑफर या बायबैक में आप शेयर न बेचें तो आप कंपनी के शेयरधारक बने रहेंगे और आपको इसका लाभ मिलता रहेगा। लेकिन डीलिस्टिंग प्रस्ताव पर आपने अपने शेयर प्रवर्तक को नहीं बेचे तो आप फंस जाएंगे क्योंकि डीलिस्ट होने के बाद उन शेयरों में ट्रेडिंग बंद हो जाएगी और आप उन्हें किसी भी तरह बेच नहीं पाएंगे। स्टॉक एक्सचेंज से बाहर भी वो शेयर आपसे शायद कोई नहीं खरीदेगा।
इस सारे मामले में जब भी कोई समस्या आए, आप सारे जरूरी दस्तावेजों के साथ सेबी में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
डिलिस्ट की सूचना शेयरधारक को नही दी जाती
डिलिस्टिग का प्स्ताव कर चुकी कोन कोन सी कम्पनी है