जानते हैं वही कमाते हैं, बाकी पिटते हैं

शेयर बाज़ार में कामयाब लोगों की एक-एक हरकत सोची-समझी, जानी-बूझी होती है। यहां अनायास कुछ नहीं होता। हां, पूरी सृष्टि में अनिश्चितता है तो यहां भी कोई उसे मिटा नहीं सकता। लेकिन उसे साधने की पुरजोर कोशिश जरूर होती है। यहां दो तरह के लोग होते हैं। एक वे, जो जानते हैं कि क्या कर रहे हैं। दूसरे वे, जो सिर उठाकर रातोंरात अमीर बनने चले आते हैं। पहले बराबर कमाते हैं, जबकि दूसरे बराबर पिटते हैं।

अगर आप शेयर बाज़ार के बारे में अभी तक कुछ नहीं जानते तो बेहतर यही होगा कि आप लंबे निवेश से शुरूआत करें और ट्रेडिंग के बारे में सोचे भी नहीं। ट्रेडिंग में समुद्र में सफिंग जैसा आनंद आता है। लेकिन बिना किसी अभ्यास के तो कोई सर्फिंग कर नहीं सकता। वैसे भी इस समय शेयर बाज़ार में जिस तरह की लहरें उठ रही हैं, सेंसेक्स व निफ्टी ऐतिहासिक शिखर बनाता जा रहा है, उसमें ट्रेडिंग बेहद रिस्की हो गई है। 16 मई को लोकसभा चुनावों के नतीजों के आने के दो-चार दिन बाद ही यह हाईटाइड शांत हो पाएगा।

आर्थिक विकास पर ही शेयर बाज़ार का बढ़ना टिका होता है और लंबा निवेश हमें इस विकास का लाभ उठाने का सुअवसर देता है। लेकिन जो लोग दिन-ब-दिन की हलचलों का फायदा उठाना चाहते हैं, उनके लिए कुछ बुनियादी चीजों का जानना बेहद जरूरी है। उससे पहले मन से यह निकाल दीजिए कि मैं या कोई दूसरा आपको कमाकर दे देगा। कमाना आपको खुद ही पड़ेगा। दूसरी बात, अगर आप ट्रेडिंग से कमाई के लिए किसी जादुई मंत्र/सूत्र की तलाश में लगे हैं को आप भयंकर गफलत के शिकार है। रेगिस्तान में मरीचिका के पीछे भागते प्यासे हिरण जैसी आपकी हालत है। सारी दुनिया का अनुभव बताता है कि ऐसा कोई जादुई मंत्र है ही नहीं। बड़े-बड़े कामयाब ट्रेडर यह बात कह चुके हैं। यहां संभावना या प्रायिकता काम करती है। रिस्क/रिवॉर्ड का अनुपात देखकर लोग स्टॉप लॉस व लक्ष्य तय करते हैं।

इसलिए किसी चमत्कारी ताबीज़ या टिप्स के चक्कर में पड़ने के बजाय यह सोचिए कि सारी उपलब्ध सूचनाओं का इस्तेमाल करके आप खुद अपने दम पर कैसे कमा सकते हैं। आइए देखते हैं कि क्या उपलब्ध सूचनाएं और ज़रूरी अंतर्दृष्टि है जो हमारे भीतर कमाई का अपना दमखम पैदा करती हैं।

शेयरो की ट्रेडिंग में कामयाबी के लिए तीन चीजों की जानकारी बेहद जरूरी है। पहली यह कि बाज़ार में कौन-कौन से खिलाड़ी सक्रिय हैं और उनकी हैसियत क्या है। दूसरी यह कि भावों की चाल क्या कहती है। हमें भावों की दशा-दिशा को चार्ट पर पढने की भाषा आनी चाहिए। तीसरी और अंतिम जानकारी यह कि ठीक इस वक्त किसी स्टॉक में मांग-सप्लाई का संतुलन क्या है। इन तीनों पर महारत आवश्यक है।

बाज़ार में कौन-कौन सी शक्तियां सक्रिय हैं, इस बारे में अपने यहा पूरी पारदर्शिता नहीं है। मोटे तौर पर समझ लीजिए कि देशी-विदेशी संस्थाओं, खासकर विदेशी निवेशक संस्थाओं (एफआईआई) का अपने यहां निर्णायक रोल है। इसके अलावा एलआईसी, यूटीआई, बैंक और म्यूचुअल फंड बड़ी भूमिका निभाते हैं। ब्रोकरेज हाउस, राकेश झुनझुनवाला जैसे पेशेवर निवेशक व टेडरों का अपना रोल है। इन सबसे अलावा अपने यहां खुद लिस्टेड कंपनियों के प्रवर्तक बाज़ार के बहुत बड़े खिलाड़ी हैं। लेकिन इतने बेनामी सौदे करते हैं कि इनकी असली ताकत का अंदाज लगा पाना मुश्किल है। एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) की भी अलग श्रेणी है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि एफ एंड ओ या डेरिवेटिव सेगमेंट के सबसे बड़े खिलाड़ी एचएनआई ही हैं।

हमारे या आप जैसे रिटेल निवेशकों/ट्रेडरों की कोई औकात नहीं कि बाज़ार तो छोड़िए किसी अदने से स्टॉक की चाल बदल सकें। हमारी मांग से बाज़ार का बाल भी बांका नहीं होता। इसलिए जब हम मांग-सप्लाई की बात करते हैं तो उसका सीधा-सा मतलब होता है बैंक, बीमा, म्यूचुअल फंडों, एफआईआई और बड़े ब्रोकरेज़ हाउसों की मांग जो हर दिन लाखों नहीं, करोड़ो में खेलते हैं। उनकी चाल को पहले से भांपना असली चुनौती है।

भावों को पढ़ना, चार्ट पर उनकी दशा-दिशा को समझना और फिर संस्थाओं व प्रोफेशनल ट्रेडरों की तऱफ से आ रही मांग या सप्लाई को समझना यह कामयाबी के आखिरी चरण हैं। सबसे पहला चरण है बाज़ार का सटीक विश्लेषक, उसकी सही-समझ। यहां विदेशी बाज़ारों को समझने से काम नहीं चलेगा। हमें अपने भारतीय बाज़ार को समझना होगा। इसका अपना खास व्यक्तित्व है, अलग इतिहास है, अलग बुनावट है। दिक्कत है कि इस पर कोई किताब भी नहीं है जो मैं आपको पढ़ने के लिए बता सकूं। बराबर पता लगाने में जुटा हूं। अगले हफ्ते सेबी के एक रिटायर्ड एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर से मिलने की योजना है जो तीन साल तक ऊपर से शेयर बाज़ार की निगरानी करते रहे।

अंत में बस एक बात कहनी है कि शेयर बाज़ार से कमाने की हड़बड़ी में मत पड़िए। खेती-बाड़ी, व्यापार या नौकरी-पेशा जहां से मूलतः कमाना है, वहां से कमाते रहिए, बचाते रहिए। शेयर बाज़ार को जानते रहिए, समझते रहिए, अभ्यास करते रहिए। करीब सौ साल पहले दुनिया के शुरुआती व कामयाब निवेशक, पॉल कैबट ने कहा था: पहले आपको तथ्य जानने होते हैं, फिर तथ्यों का मुकाबला करना होता है। सबसे कठिन काम है बाज़ार को सांगोपांग समझना। इसके बाद इस ज्ञान के इस्तेमाल से कमाने में आपको बमुश्किल दो सेकेंड लगते हैं।

इसलिए हमारा कहना है कि आंख पर पट्टी बांधकर तीर मत चलाइए। बच्चे से भी टिप्स लेगें तो उसमें से कुछ न कुछ सही निकल आएंगी। इसलिए कहीं की टिप्स के चक्कर में मत पड़िए। सूचनाएं जरूर इकट्ठा कीजिए। उन्हें अपने अंदर प्रोसेस कीजिए। तभी कोई फैसला कीजिए। हम आप तक सूचनाएं पहुंचाने के ही काम में लगे हैं। हम टिप्स नहीं देते। अपनी समझ के हिसाब से प्रायिकताओं की गणना पेश करते हैं। रविवार को लंबे निवेश की सलाह अतीत व भविष्य के गहरे आकलन के बाद देते हैं। बाकी ट्रेडिंग के पांच दिन भी बाज़ार शक्तियों का विश्लेषण करके के बाद ही कुछ कहते हैं। लेकिन रिस्क को हम या कोई भी खत्म नहीं कर सकता है। उस रिस्क से रिटर्न का सीधा जुड़ाव है। यह रिस्क आप उठाते हैं तो आपको पूरा भान होना चाहिए कि आप क्या कर रहे हैं। हम बस यह समझने में आपकी मदद करते हैं। तथास्तु!

 

1 Comment

  1. Very important and knowledeful article, thanks for making such a nice website

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