पूंजी बाजार नियामक संस्था, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने चेयरमैन यू के सिन्हा का कहना है कि शेयर बाजार को सट्टेबाजों का बाजार नहीं समझा जाना चाहिए। लेकिन उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि भारतीय शेयर बाजार में रिटेल निवेशकों की भागीदारी मात्र आठ फीसदी पर अटकी हुई है, जबकि चीन तक में यह 30 फीसदी के आसपास पहुंच चुकी है।
श्री सिन्हा ने मुंबई में वित्तीय समावेश पर स्कॉच द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में कहा, ‘‘पूंजी बाजार को सटोरियों का बाजार न मानें।’’ उन्होंने व्यवस्थागत खामियों को दूर करने पर जोर देते हुए कहा कि बाजार में रिटेल निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाना चाहिए।
सिन्हा ने कहा कि यदि आप शुरुआती पब्लिक ऑफर (आईपीओ) की प्रक्रिया को देखें तो उसका प्रॉस्पेक्टस इतना भारी-भरकम होता है और उसमे बारीक अक्षरों में इतनी उलझी बातें लिखी रहती हैं कि बहुतों के लिए समझ पाना दुरुह है। सेबी चेयरमैन ने कहा, “हम आईपीओ के फॉर्म को सरल बनाने जा रहे हैं। एक समूह ने इस पर काम शुरू कर दिया है, जिसे पूरा होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।’’
उन्होंने कहा कि भारत में शेयर बाजार में होनेवाले कुल निवेश में रिटेल निवेशकों की भागीदारी मात्र आठ फीसदी है। वहीं दूसरी ओर चीन, दक्षिण कोरिया और ब्राजील जैसे देशों तक में यह 20 से 30 फीसदी है। सेबी चेयरमैन ने कहा कि नियामक संस्था भी अब अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी अपना रहा है। पूंजी बाजार में होनेवाली हरकतों की बारीक निगरानी के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि अगर अर्थव्यवस्था का उपयोगी तरीके से विकास करना है तो बचत के धन का सही तरीके से निवेश होना जरूरी है। उनका कहना था कि पेशन फंड में आनेवाली रकम का निवेश शेयरों में किया जाना चाहिए। अगर पेंशन फंड अपनी जमाराशि का 15 फीसदी हिस्सा भी निवेश करें तो पूंजी बाजार में आनेवाला कुल निवेश 1.5 फीसदी बढ़ जाएगा।