कोई भी अर्थव्यवस्था नई रिसर्च, नए आविष्कार और नई चीजें लाने या नवाचार पर जोर देने से बढ़ती है। लेकिन भारत बिजनेस करने की आसानी में इधर थोड़ा सुधरने के बावजूद वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स) में 2007 के 23वें स्थान से खिसककर 2015 में 81वें स्थान पर पहुंच गया है। इसकी खास वजह यह है कि भारत में सरकार के साथ-साथ कॉरपोरेट क्षेत्र भी रिसर्च व अनुसंधान (आर एंड डी) पर खर्च घटाता जा रहा है।
एक अध्ययन के मुताबिक भारतीय कंपनियां दस साल पहले अपनी बिक्री का 0.1 प्रतिशत आर एंड डी पर खर्च कर रही थी, जबकि अब यह घटकर 0.05 प्रतिशत पर आ गया है। दवा, आटोमोबाइल व इलेक्ट्रिक कंपनियां निश्चित रूप से शोध व विकास पर ज्यादा खर्च करती हैं। लेकिन बाकी उद्योगों का हाल बदतर है। साथ ही मुश्किल यह भी है कि अपने यहां वैज्ञानिकों व शोधकर्ताओं को जरूरी बढ़ावा नहीं दिया जाता। अगर भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाना है तो आर एंड डी पर खर्च और वैज्ञानिक सोच को बढ़ाना ज़रूरी है।