प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेबाकी से झूठ बोलते हैं। यह उनकी आदत, संघी प्रशिक्षण व संस्कार का हिस्सा है। उनके तमाम मंत्री-संत्री तक झूठ बोलते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तक बेझिझक झूठ बोल देती हैं। यह हकीकत मोजीराज के दस साल में जगजाहिर हो चुकी है। दिक्कत यह है कि आज रिजर्व बैंक जैसा शीर्ष मौद्रिक संस्थान तक अपने गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुआई में झूठ गढ़ने और फैलाने में सिद्धहस्त हो गया है। रिजर्व बैंक बिना तहकीकात किए बोले जा रहा है कि बैंकों में डिपॉजिट इसलिए सुस्त पड़े हैं क्योंकि लोगबाग अपनी बचत शेयर बाज़ार में लगा रहे हैं। अगर ऐसा है भी तो लोगबाग अपना धन सावधि जमा से निकालकर पहले चालू या बचत खाते (कासा) में ला रहे होंगे जिससे बैंकों की कुल जमा पर फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन रिजर्व बैंक को वित्त मंत्री की हां में हां मिलानी है तो कुछ भी बके जा रहा है। बाकी पिछले दस साल में देश की संस्थाओं का क्या हाल हो गया है, इसे समझने के लिए दो मिसाल ही काफी हैं। एक, हमारा शीर्ष नेतृत्व कहता है कि वो नॉन-बायोलॉजिक है, उसे परमात्मा ने भेजा है। दो, देश का मुख्य न्यायाधीश बोलता है कि वो कोर्ट के फैसलों के लिए भगवान से प्रार्थना करता है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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