भारत सरीखे उतार-चढ़ाव भरे मौसम वाले देश में, जहां के नागरिकों का सबसे पुराना पेशा कृषि है, फसल बीमा खेती-किसानी के लिए बड़ा कारगर है। इसे किसानों का संकटमोचक कहा जा सकता है। भारतीय बीमा कंपनियों ने इसे इतना सरल कर दिया है कि एक खास कंपनी से खाद खरीदने वाला किसान खुद-ब-खुद बीमाधारक बन जाता है।
किसानों के लिए उपयोगी: ध्यान रहे कि अगर उचित प्रचार-प्रसार किया जाए तो फसल बीमा से देश के सबसे पुराने पेशे खेती-किसानी की कई समस्याओं का समाधान हो सकता है। बता दें कि हमारे देश की 75 फीसदी आबादी गांवों में रहती है और इसका 80 फीसदी हिस्सा अपने जीवन-यापन के लिए खेती पर निर्भर है। सूखा, बाढ़, तूफान, चक्रवात, भूस्खलन व भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के अलावा किसान का जोखिम आग, नकली बीज, खाद कीटनाशक से फसल खराब होना, कम उपज व विभिन्न वजहों से फसल की कीमतों में कमी समेत मनुष्य निर्मित आपदाएं भी हैं। ऐसी हालत में फसल बीमा किसानों के लिए काफी उपयोगी साबित होता है।
पारदर्शी व सरल: इफको टोकियो कंपनी की संकटहरण बीमा योजना – एसबीवाई पिछले दस साल से दस लाख किसानों को कवर करती है। यह पॉलिसी एकदम पारदर्शी व प्रशासन में सरल है। बेहद सिंपल डिजाइन की इस योजना का ताल्लुक खाद की खरीदारी से है। इफको की खाद की एक बोरी खरीदने वाला किसान स्वयमेव एक्सीडेंट इंश्योरेंस के कवर में आ जाता है।
एकदम निशुल्क: 50 किलो खाद की बोरी खरीदते ही किसान को 4000 रुपए का बीमा कवर मुफ्त में हासिल हो जाता है। प्रति बोरी इसका प्रीमियम 1 रुपए इफको वहन करती है। इसमें कुल सम एश्योर्ड की सीमा एक लाख रुपए रखी गई है, भले ही किसान चाहे जितनी बोरी खाद खरीदे।
12 माह तक पॉलिसी वैध: किसान द्वारा खाद खरीदने की तारीख से 12 महीने तक पॉलिसी वैध रहती है। इस अवधि के दौरान एक्सीडेंट से किसान की मौत होने पर बीमा कंपनी उसे प्रति बोरी 4000 रुपए का भुगतान करती है। स्थाई रूप से अपंग हो जाने की सूरत में 2000 रुपए और आंशिक अपंगता की दशा में उसे 1000 रुपए दिया जाता है।
क्लेम है सरल: इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी की इस संकट हरण बीमा योजना – एसबीवाई का क्लेम करने के लिए कोई बहुत ज्यादा कागजातों की जरूरत भी नहीं होती है। सिर्फ खाद खरीदने की रसीद ही क्लेम करने के लिए प्रमुख प्रमाण मानी जाती है।
फसलों की तस्वीरें: इसी बीमा कंपनी ने क्लेम के लिए फसलों की तस्वीरों का सिलसिला भी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के जरिए शुरू किया है। यह परियोजना अभी प्रायोगिक तौर पर देश में दो राज्यों – आंध्र प्रदेश के कड़प्पा व छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले में शुरू की गई है। इस परियोजना को अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) का भी सहयोग मिला है। बीमा के साथ किए गया करार के अनुसार नासा का सैटेलाइट उन किसानों की जमीनों व फसलों की तस्वीरें मुहैया करवाएगा जो फसल बीमा कराना चाहते हैं।
तस्वीर रोकेगी जालसाजी: बीमा कंपनी को सैटेलाइट की तस्वीरों की मदद से फसल बीमा के दावों का फर्जीवाड़ा रोकने में मदद मिलेगी। दरअसल, यदि कोई किसान बाद में अकाल या बाढ़ से फसल नष्ट होने के नाम पर बीमे का दावा करेगा तो नासा की तस्वीरें उसकी पोल खोल देंगी।
दावा मिलेगा जल्दी: इफको-टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी का कहना है कि सैटेलाइट की तस्वीरों की मदद से फसल बीमा के दावों का निपटारा शीघ्र किया जा सकेगा। किसानों को भी उनके द्वारा किया गया दावा मिलेगा जल्दी। दरअसल, अब तक की प्रक्रिया यह है कि किसान बीमे की राशि का दावा करता है। बीमा कंपनी का जांच-दल दावे की सत्यता की पड़ताल करता है। तब जाकर कहीं बीमा कंपनी की ओर से किसान को दावे की रकम मिल पाती है। इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय भी लग जाता है।
रेनफाल इंडेक्स इंश्योरेंस: देश के किसानों की सुविधा के लिए एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी की योजना रेनफाल इंडेक्स इंश्योरेंस है जो किसानों को उतार-चढ़ाव भरे मौसम की चिंता व सिंचाई की समस्या के खिलाफ कवर करती है। परंपरागत फसल बीमा की तुलना में इसकी प्रीमियम रकम कम होती है और दावे का भुगतान जल्दी कर दिया जाता है।
बारिश के असर के खिलाफ: जिन इलाकों में बारिश का प्रतिकूल असर ज्यादा होता है, उस इलाके के किसानों के लिए यह किफायती प्रीमियम में बीमा सुविधा प्रदान करती है। माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं के सदस्य, स्वयंसेवी संगठनों के व सरकार प्रायोजित संस्थाओं के सदस्य किसानों के लिए यह उपयोगी है। इसमें प्रीमियम का निर्धारण फसल के प्रकार, लोकेशन, बरसात के इतिहास तथा खेती की लागत के आधार पर किया जाता है।
– राजेश विक्रांत (लेखक एक बीमा प्रोफेशनल हैं)
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