सामान्य नहीं, विशिष्ट

हम बहुत सारी चीजों को देखते हुए भी देख नहीं पाते क्योंकि उन्हें हम सरसरी व सामान्य नज़र से देखते हैं। हमें उनकी विशिष्टता का बोध नहीं होता। उसी तरह जैसे सब कुछ समान होते हुए भी घोड़े, कुत्ते और चूहे को अलग-अलग दिखता है।

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