जुआरी इंडस्ट्रीज 1967 में बनी के के बिड़ला समूह की कंपनी है। वो समूह जो हिंदुस्तान टाइम्स व मिंट जैसे अखबार भी निकालता है। इसके बारे में हमने सबसे पहले इसी जगह 6 जनवरी 2011 को लिखा था। तब इसका दस रुपए का शेयर 690 रुपए के आसपास चल रहा था। करीब तीन महीने में यह लगभग 6 फीसदी बढ़कर 15 अप्रैल 2011 को 730 रुपए के शिखर पर पहुंच गया। लेकिन इस समय दस रुपए अंकित मूल्य का वही शेयर 160 रुपए के आसपास चल रहा है। इस दौरान कंपनी ने कोई बोनस शेयर भी जारी नहीं किए हैं। कंपनी का धंधा भी दुरुस्त चल रहा है। फिर आखिर ऐसा क्यों हुआ?
पिछले हफ्ते इस पर सर्किट पे सर्किट लगने लगा तो आप में कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि ऐसा क्यों हो रहा है? खुद समझने की कोशिश करते तो अच्छा रहता क्योंकि इससे शेयर बाजार की कुछ नई बातें समझ में आतीं। लेकिन गेंद उठाकर मेरे पाले में फेंक दी तो समझने व बताने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था। इसका शेयर 4 अप्रैल 2011 को 521 रुपए पर बंद हुआ था। उसके बाद चार दिन के लिए बाजार बंद था। 9 अप्रैल को यह सीधे 196 रुपए पर खुलकर 186.25 रुपए पर पहुंच गया। एक तो इसे ट्रेड फॉर ट्रेड के टी ग्रुप में डाल दिया गया। यानी, इसमें सारे के सारे सौदे डिलीवरी के लिए ही हो सकते हैं। दूसरे इस पर 5 फीसदी सर्किट लगने लगा। यह गिरने लगा। 12 अप्रैल तक 159.75 रुपए पर जा पहुंचा और बंद हुआ 162.20 रुपए पर। अगले दिन शुक्रवार, 13 अप्रैल को मामूली गिरावट के साथ बीएसई (कोड – 500780) में 161.95 रुपए और एनएसई (कोड – ZUARIAGRO) में 161.90 रुपए पर बंद हुआ है।
यूं तो सवा साल में हुई यह गिरावट 75 फीसदी से ज्यादा की नजर आती है। लेकिन सही वजह को पकड़कर चलें तो गिरावट 30 फीसदी के आसपास सिमट जाती है जो ज्यादा तो है, लेकिन दीर्घकालिक निवेश के लिहाज से असामान्य नहीं। असल में जुआरी इंडस्ट्रीज अपने धंधे को नई मंजिल पर ले जाने के लिए रीस्ट्रक्चरिंग कर रही है। वह अपना फर्टिलाइज़र का धंधा यहां से निकालकर अलग कंपनी जुआरी होल्डिंग्स में डाल रही है। इसके लिए उसने जुआरी इंडस्ट्रीज के हर शेयरधारक को एक पर एक के अनुपात में जुआरी होल्डिंग्स का शेयर मुफ्त में दिया है। इसकी रिकॉर्ड तारीख 10 अप्रैल 2012 थी। सही संक्रमण के लिए उसे टी ग्रुप में डाला गया और फिर वहां एक दिन पहले से भूचाल आना शुरू हो गया। नए शेयरों के असर को समायोजित करने के बाद 730 रुपए का शिखर 260.61 रुपए पर आ जाता है।
जल्दी ही इस स्टॉक को टी ग्रुप से निकाल लिया जाएगा। और, इसके बाद यह फिर से पटरी पर आ जाएगा। इसलिए इसमें अपने निवेश को लेकर घबराने की कोई जरूरत नहीं है। बल्कि, जिस तरह प्रबंधन ने धंधे को व्यवस्थित करने की ठानी है, उसने कंपनी और ज्यादा स्लिम और स्मार्ट होकर आगे बढ़ेगी। असल में के के बिड़ला समूह ने जिस तरह अपने व्यवसाय का पुनर्गठन किया है, उससे जुआरी समेत पारादीप फॉस्फेट और टेक्समैको जैसी कंपनी एडवेन्ज़ ग्रुप के तहत आ गई हैं। जुआरी इंडस्ट्रीज से वह पहले ही गोबिंद शुगर्स को निकाल चुकी है।
ज्यादा कुछ न कहकर आज बस इतना कहना है कि संक्रमण की प्रक्रिया पर नजर रखिए। उसे समझने की कोशिश कीजिए। आप यह बेहतर तरीके से समझ सकते हैं क्योंकि धन आपका लगा है, मेरा नहीं। बिना घबराए शांति से फैसला कीजिए। हमारा तो फिर यही कहना है – इस जुआरी पर फलेगा दांव क्योंकि कंपनी ने बहुत कुछ ऐसा किया है जिससे उसके धंधे में बरक्कत ही बरक्कत होनी है।
Zuari Holdings Ltd: 4.20 crore outstanding shares
This company would retain complete fertilizer business with an annual turnover of ~7000 crore and PAT of 200-220 crore. Besides, it would also get Fertilizer companies Govt. of India bonds worth Rs 395 crores and cash allocation should be ~500 crore. Since the company would also hold debt of ~1300 crore, cash balance and bonds are nullified to the extent.
The fertilizer business of the company has been recording a steady growth of 15%+ since the last many years. The company manufactures both Urea and complex fertilizers. Besides, seeds business also contributes towards the revenue of the company, though minuscule contribution at the moment.
On the consolidated basis (fertilizer + all the other businesses), Zuari was commanding an average PE of 7.
From the same industry, Coromandel International commands a PE of 12-13. On a conservative basis, we would like to assign a PE of 8 for the fertilizer business, thus a market cap of 1680 crore and an approximate stock price of Rs 400 (1680/4.20)
Zuari Industries Ltd: 2.94 crore outstanding shares
Post demerger, Zuari Industries will retain other operating businesses with average PAT of Rs 40 crores. On a conservative basis, we would assign a PE of 6 and thus value the operating businesses at Rs 240 crores.
The real estate unit will be developing close to about 3 million square feet space over the next three years. We are assigning an over conservative value of Rs 50 crore to the same, though it can alone contribute Rs 100 crore profit (profit of Rs 300 psft) over the next 3 years.
1.26 crore equity shares of Zuari Holdings worth Rs 500 crore at Rs 400/- per share. Assuming a discount of 80% (stake being strategic in nature), we will consider only 100 crore value from the holding.
Besides, company will also retain strategic investments in listed companies (Chambal Fertilizers & Chemicals, Texmaco Rail and Engineering, Texmaco Infrastructure and Holdings, Nagarjuna Fertilizers and Chemicals) worth Rs 825 crores. Here again, assuming a discount of 80%, we will consider only Rs 165 crore from the holdings.
So, post de-merger, Zuari Industries can command a market cap of Rs 555 crores (240 + 50 + 100 + 165) and thus an approximate stock price of Rs 188/- per share (555/2.94)
the total valuation comes at Rs 588 per share
Galib Ji, thanks a lot for giving this insight. I request you to regularly write for benefit of Arthkaam readers.