देश की अर्थव्यवस्था या जीडीपी बढ़ता है तो शेयर बाज़ार बढ़ता है। लेकिन ऐसा तुरत-फुरत नहीं होता। दोनों का रिश्ता सीधा नहीं, समय सापेक्ष है। कारण, जहां जीडीपी अतीत को दर्शाता है, वहीं शेयर बाज़ार भविष्य को सोचकर चलता है। भारत भले ही दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। लेकिन अंदर से इसकी हालत अच्छी नहीं है। फिर भी शेयर बाज़ार बढ़ रहा है क्योंकि भारत का भविष्य संभावनाओं से भरा हुआ है। भारत से बड़ी दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था है जर्मनी। वहां का जीडीपी दिसंबर 2022 की तिमाही में 0.5% और मार्च 2023 की तिमाही में 0.3% घटा है तो लगातार दो तिमाहियों से ऋणात्मक विकास दर के कारण वह तकनीकी रूप से आर्थिक मंदी में जा चुका है। फिर भी 19 मई 2023 को जर्मनी के मशहूर फ्रैकफर्ट स्टॉक एक्सचेंज का डैक्स सूचकांक रिकॉर्ड शिखर तक पहुंच गया। भारत में तो दूर-दूर तक मंदी का कोई डर नहीं है। इसलिए यहां के शेयर बाज़ार को तो बम-बम ही करते जाना है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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