लोकपाल विधेयक मसौदा समिति की आखिरी बैठक होने के बाद भी सरकार और हज़ारे पक्ष के बीच अहम मुद्दों पर मतभेद बने रहे और साझा मसौदा तैयार नहीं किया जा सका। हज़ारे पक्ष ने जहां सरकार के मसौदे पर ‘गहरी निराशा’ जाहिर की, वहीं केंद्र ने कहा कि वह दोनों पक्षों के मसौदे पर राजनीतिक दलों से राय लेकर उसे कैबिनेट के समक्ष रखेगा। सरकार के मसौदे में प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में रखे जाने का जिक्र नहीं है।
मगलवार को हुई समिति की नौंवीं और अंतिम बैठक में दोनों पक्षों ने लोकपाल मसौदा विधेयक के संस्करण एक दूसरे को सौंपे। बैठक के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘दोनों पक्षों ने आज मसौदे के अपने-अपने संस्करण समिति में रखे। इन्हें अब राजनीतिक दलों के बीच रखा जाएगा। उन पर जो भी सुझाव आएंगे, उन्हें शामिल कर एक दस्तावेज कैबिनेट को भेजा जाएगा। कैबिनेट की बैठक में जो फैसला होगा, वह अंतिम मसौदा होगा, जिसे संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा।’’
सिब्बल ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों के बीच लोकपाल के छह मूल मुद्दों पर असहमति है। हमने कुछ मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की है। हमने ऐसे मुद्दों पर एक दूसरे से असहमत होने की बात को मान लिया हैं।’’ उधर, हज़ारे पक्ष के प्रशांत भूषण ने सरकार द्वारा तैयार किए गए लोकपाल विधेयक के मसौदे पर ‘गहरी निराशा’ जताई। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार का मसौदा लोकपाल के नाम पर एक प्राधिकार स्थापित करने की प्रतीकात्मक कोशिश प्रतीत होती है।’’ प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने के विवादास्पद मुद्दे पर हज़ारे पक्ष ने कहा कि सरकार के मसौदे में इस बात का कोई जिक्र ही नहीं है।