सारे लक्षण यही हैं कि नए साल में महंगाई, खासकर खाद्य मुद्रास्फीति में उछाल आ सकता है। समस्या यह भी है जिन देशों के पास खाद्य वस्तुओं की अच्छी उपलब्धता है, वे भी मुंद्रास्फीति से लड़ने की भावी योजना बनाते हुए उनका निर्यात करने से बच रहे हैं। ऐसे में हर देश को खाद्य मुद्रास्फीति से अकेले-अकेले निपटना होगा। यह सबसे लिए बड़ी कठिन चुनौती है। यह कितनी गंभीर हो सकती है, इसका अंदाज़ा संयुक्त राष्ट्र से जुड़े खाद्य व कृषि संगठन (एफएओ) के इस आकलन से लगाया जा सकता है कि साल 2022 में खाने-पीने की चीजों के दाम 30% तक बढ़ सकते हैं। दाम बढ़ने से आम व्यापारी का मार्जिन तो बढ़ नहीं जाता। लेकिन शेयर बाज़ार के ट्रेडर खाद्य व प्रोसेस्ड फूड की कंपनियों से लाभ कमा सकते हैं। अब बुधवार की बुद्धि…
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