नरेंद्र दामोदर दास मोदी दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके भारत के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बन गए हैं। उनका दावा है कि भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे और 2047 तक उसे विकसित देश बना देंगे। उनकी बातों और सरकारी आंकड़ों पर तमाम देशी-विदेशी अर्थशास्त्रियों से लेकर आईएमएफ, विश्व बैंक, वैश्विक निवेश बैंकर, रेटिंग एजेंसियां और विदेशी सरकारें तक या तो यकीन रखती हैं या ‘मौनं स्वीकृति लक्षणं’ के अंदाज़ में चुप हैं। लेकिन भारतीय मतदाता ने उनकी भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा में बहुमत से कम मात्र 240 तक सिमटा कर साफ संदेश दे दिया कि उसे मोदी सरकार के तथाकथित विकास पर यकीन नहीं है। उसके इसी जनादेश की वजह से अगले पांच साल तक अगर चली तो मोदी सरकार को एनडीए सरकार बनकर चलना होगा। नई सरकार को अडाणी-अम्बानी समेत 20-22 उद्योगपतियों के संकीर्ण दायरे से बाहर निकलकर देश में व्यापक उद्यमशीलता और इनोवेशन को सचमुच बढ़ावा देना होगा। आर्थिक विकास के केंद्र में एमएसएमई क्षेत्र को लाना होगा और नौजवानों को सार्थक रोजगार देकर देश के डेमोग्राफिक लाभांश को पुष्पित-पल्लवित करना होगा। अबकी बार हवाबाजी से काम नहीं चलेगा। अब सोमवार का व्योम…
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