ऑपरेटरों द्वारा संचालित स्टॉक्स की धुनाई का एक और दौर बाजार में साफ-साफ देखा जा सकता है। केएसके एनर्जी वेंचर्स और गति लिमिटेड इसी का शिकार बन गए लगते हैं। केएसके को 8.22 फीसदी तोड़कर 64.20 रुपए की नई तलहटी पर पहुंचा दिया गया, वहीं 20 फीसदी तोड़कर गति की भरपूर दुर्गति कर डाली गई। ऐसे में चुनिंदा स्टॉक्स तक सीमित रहना ही भला।
देखें कि डिश टीवी और वीआईपी इंडस्ट्रीज में क्या हो रहा है? हमने वीआईपी के 1040 रुपए रहने पर खुलकर कहा था कि यह 500 रुपए के भी काबिल नहीं है। इसका भाव अब गिरकर आनुपातिक रूप से 650 रुपए (दो रुपए अंकित मूल्य पर 130 रुपए) तक आ गया है। इस बीच दस रुपए अंकित मूल्य के शेयर को 1 नवंबर 2011 से दो रुपए अंकित मूल्य के पांच शेयरों में बांटा जा चुका है। कुछ एनालिस्टों ने खबर दी है कि इसके खिलाफ सेबी की कार्रवाई हो सकती है। साफ लगता है कि वीआईपी के प्रवर्तकों को 400 करोड़ रुपए के आसपास निकालने को मजबूर किया गया होगा। यह सच है कि वीआईपी के प्रवर्तकों ने फरवरी 2008 में कुछ सौदे किए थे जो 5 फीसदी की सीमा से ज्यादा (5.64 फीसदी) थे। इसकी सूचना उस वक्त स्टॉक एक्सचेंजों व सेबी को नहीं दी गई क्योंकि जिन कंपनियों (किड्डी प्लास्ट व केम्प एंड कंपनी) ने यह खरीद की थी, उसे गैर-प्रवर्तक बताया गया और अभी इस साल सितंबर से उन्हें प्रवर्तकों में शामिल दिखा दिया गया। यह साफ तौर पर नियमों का उल्लंघन और इस पर सेबी की कड़ी कार्रवाई होनी ही चाहिए।
अगर विजय माल्या जैसा शख्स किंगफिशर एयरलाइंस को नहीं संभाल पा रहा है तो वीआईपी 30 के पी/ई अनुपात पर कैसे मजबूत हो सकता है? यह सवाल आप जरूर उनसे पूछें जिन्होंने जबरन इस स्टॉक में खरीद की सलाह दी थी। 130 रुपए के भाव पर भी यह स्टॉक महंगा है और तब तक इसी तरह लस्टम-पस्टम रहेगा जब तक रुपया 50 रुपए के नीचे रहता है। यही सच डिश टीवी का है। इस स्टॉक की असली औकात 35 रुपए की है। कंपनी अब धन जुटाने की तैयारी में है तो इसका और गिरना तय है। मैंने पहले कहा था कि 72 रुपए से नीचे जाते ही इस स्टॉक में भारी गिरावट आएगी और अब ये फिसलन शुरू हो चुकी है। डिश टीवी आज 7.69 फीसदी गिरकर 72.15 रुपए से 66.60 रुपए पर आ गया।
जेट एवरवेज ने 700 करोड़ रुपए का घाटा (ज्यादातर विदेशी मुद्रा दरों के चलते) खाने की घोषणा की है। इसके बावजूद उसे लेनेवाले मिल जा रहे हैं क्योंकि यह स्टॉक इस तिमाही के खराब अनुमानित नतीजों के चलते पहले ही 500 रुपए से घटकर महज 225 रुपए पर आ चुका है। अब कंपनी का सबसे बुरा राहुकाल बीत चुका है। एक बार फिर छह महीने के भीतर आप जेट को 400 रुपए के ऊपर पहुंचा हुआ देख सकते हैं।
पिपावाव डिफेंस ने उम्मीद से बेहतर नतीजे घोषित किए हैं। एस्कोर्टस को महिंदा एंड महिंद्रा द्वारा जबरन हथियाने की कोशिश की जा सकती है। इसलिए यह मूल्यवान खरीद बना रहेगा। इनफोसिस, टाटा मोटर्स, हिंडाल्को व टाटा स्टील डाउनग्रेड के बावजूद मजबूत बने रहेंगे। ये छह स्टॉक्स मेरे हिसाब से निवेश के लिए काफी मुफीद हैं। लेकिन इनमें कम से कम छह महीने के नजरिए के साथ निवेश करना चाहिए।
कितनी मजेदार बात है कि जिन देशों का कोई भविष्य नहीं है, उन देशों की रेटिंग एजेंसियां ऐसे देशों व स्टॉक्स को डाउनग्रेड कर रही हैं जो चक्र के निचले दौर के अंत तक पहुंच चुके हैं। भरोसा बढ़ता जा रहा है कि इससे बुरा अब कुछ भी नहीं हो सकता। आईआईपी का 1.81 फीसदी पर पहुंच जाना और जीडीपी के 7.7 फीसदी के नीचे चले जाने की आशंका साफ दिखाती है कि रिजर्व बैंक अब ब्याज दरों में कमी लाएगा जिससे इक्विटी बाजार में समझदारी की वापसी हो सकती है। लेकिन इस बीच रिजर्व बैंक के मौद्रिक उपायों के चलते बहुत-सी लघु इकाइयां कर्ज लौटाने में डिफॉल्टर हो चुकी हैं।
निवेशकों का विश्वास अब भी चूर-चूर हुआ रखा है। इसलिए ज्यादातर निवेशक बाजार से दूर रहना ही बेहतर समझते हैं जबकि ट्रेडर केवल शॉर्ट सौदे ही कर रहे हैं। निफ्टी आज खुलने के कुछ देर बाद 5228.90 रुपए पर पहुंच गया। लेकिन फिर गिरने लगा तो गिरता ही गया। अंत में 0.40 फीसदी की गिरावट के साथ दिन के न्यूनतम स्तर के करीब 5148.35 पर बंद हुआ। मुझे डर है कि निफ्टी चालू नवंबर माह के खत्म होते-होते कहीं 5010 तक न चला जाए। हमें इसके लिए मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए।
विज्ञान हमारे ज्ञान की सीमाएं बांध सकता है। लेकिन कल्पना पर कभी कोई सीमा नहीं बांध सकता।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)