मैं नहीं जानता कि एफआईआई के तौर-तरीकों, उनके बर्ताव और बाजार की गति पर मैं हँसूं कि रोऊं? पिछले सेटलमेंट तक शोर था कि निफ्टी 5000 का स्तर तोड़कर नीचे चला जाएगा। बेचारे ट्रेडरों ने 5000 के पुट ऑप्शन खरीद डाले। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि एक प्रमुख विदेशी ब्रोकिंग हाउस ने अखबारों के जरिए सार्वजनिक तौर पर राय रखी थी कि पहले तीन महीने बाजार गिरेगा और उसके बाद 20 फीसदी बढ़ेगा। इस तरह के बयान बाजार की सोच को दूषित कर देते हैं और पूरा माहौल बिगाड़ देते हैं।
हमने सेंसेक्स के 17,770 के स्तर को बॉटम करार दिया जिसका आधार मूल्यांकन और बाजार में निवेश का पैटर्न था। उसके बाद बाजार बढ़ता ही गया है। असल में पिछले सेटलमेंट में हुई बिकवाली एफआईआई द्वारा बाजार के उस्तादों के साथ मिलकर किए गए खेल का नतीजा थी क्योंकि बाजार में लांग सौदे ज्यादा हो रखे थे। इस सेटलमेंट में चूंकि लोग शॉर्ट सौदों में फंसे पड़े हैं तो निफ्टी के टेक्निकल बाउंस का तरीका अपनाया गया है जो एफआईआई की खरीद से जाहिर होता है।
निफ्टी आज 5600 अंक से जरा-सा नीचे रह गया। वह 5597.35 तक उठने के बाद 0.57 फीसदी की बढ़त के साथ 5592 पर बंद हुआ है। यहां से निफ्टी के 5735 या 5750 तक पहुंचने में मुझे कोई समस्या नहीं नजर आती। लेकिन वहां पहुंचते ही ट्रेडर बने ये एफआईआई मुनाफावसूली शुरू कर देंगे और इसे नीचे ले जाने की एक और कोशिश करेंगे। वे सेटलमेंट के दूसरे हिस्से में रोलओवर का इस्तेमाल कर निफ्टी को 5300 के नीचे पहुंचाने पर पूरा जोर लगा देंगे। मेरी पक्की राय है कि जब तक एनएसई डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट लागू नहीं करता, तब तक भारी उतार-चढ़ाव एफआईआई व बाजार के उस्तादों के लिए कमाई और असहाय ट्रेडरों के लिए नुकसान का मुख्य जरिया बना रहेगा।
फिर भी डेरिवेटिव सेगमेंट के एफ एंड ओ (फ्यूचर्स व ऑप्शंस) सौदों में ट्रेड करने के आपके जुनून का कोई दूसरा विकल्प नहीं है क्योंकि कैश बाजार तो पहले ही ठंडा व मृतप्राय हो चुका है। जाने-माने निवेश-गुरु मार्क मोबियस का कहना है कि दुनिया भर में डेरिवेटिव सौदों का वोल्यूम बढ़ा है जो दिखाता है कि फंडामेंटल्स को किनारे छोड़ सट्टेबाजी बढ़ रही है और यह हमारी वित्तीय व्यवस्था के लिए घातक हो सकता है।
एफआईआई और बाजार के उस्तादों की यह हरकत इसलिए है क्योंकि वे साबित करना चाहते हैं कि टेक्निकल एनासिसिस के चार्ट की समझ में वे सर्वश्रेष्ठ हैं और वे ही जानते हैं कि चार्टों के दम पर कैसे धन पीटा जा सकता है। अगर वे बाजार को इस तरह गिराने में कामयाब हो गए तो असल में निफ्टी के 8000 तक पहुंचने की राह खुल जाएगी। फिर अगले दो सालों तक बाजार पर तेजड़ियों का ही राज चलेगा।
ऐसा होगा कि नहीं, इसका पता 30 जून 2011 को ही चलेगा। हमारा नजरिया ऐसे स्टॉक्स को चुनने का रहा है जो आम निवेशकों को अच्छा रिटर्न दे सकें। विंडसर मशींस के प्रबंधन ने भले ही निवेशकों के साथ भद्दा खेल खेला हो, लेकिन कंपनी ने जबरदस्त नतीजे घोषित किए हैं। गिलैंडर्स, विमप्लास्ट, इंडो बोरैक्स और डाईअमीन्स ने भी शानदार नतीजे पेश किए हैं। रसायन क्षेत्र अब नया चमचमाता हुआ क्षेत्र है। याद करें कि अप्रैल 2008 में मैंने आपसे ऑटो व ऑटो कंपोनेंट क्षेत्र के बारे में ऐसी ही बात कही थी। यह क्षेत्र 500 फीसदी रिटर्न दे चुका है। इस बार रसायन क्षेत्र की बारी है। देखिए, यह क्या करामात दिखाता है।
पेड़ से पत्ती गिरती है तो दोषी कौन है? एफ एंड ओ में हो रही सट्टेबाजी का यही हाल है। अगर आप औकात से ज्यादा सौदे कर एफ एंड ओ में नुकसान उठाते हैं तो इसके लिए दोषी कौन है?
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)
windsor machines is reducing the paid up capital by 60% to set off the accumulated losses and the resulting Rs 4 shares will be further split up in Rs 2/- Each.