सरकार का काम करने में लगे गैर-सरकारी संगठन

एक तरफ यूपीए सरकार खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सभी को आवश्यक अनाज देने का हल्ला मचाए हुए है, वहीं कुछ अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) भी इसी तरह की मुहिम से अपना आधार व स्वीकृति बनाने में जुट गए हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय नामी एनजीओ ‘ऑक्सफैम’ ने भूख-मुक्त भारत के लिए पटना सहित देश के अन्य पांच शहरों से मंगलवार को एक व्यापक अभियान शुरू किया।

ऑक्सफैम के क्षेत्रीय प्रबंधक प्रवींद कुमार प्रवीण ने पटना में बताया कि सभी लोगों को भोजन मयस्सर हो, इसके लिए संस्था ने ‘खाद्य न्याय अभियान’ शुरू किया है। ‘ग्रो’ नामक इस कार्यक्रम का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि उत्पादकता में आई कमी को दूर करना और जन वितरण प्रणाली को दुरुस्त करना है।

उन्होंने बताया कि लोगों को अनाज की सुलभता के लिए कृषि उत्पादकता बढ़ाने और वितरण व्यवस्था दूर करना इस अभियान का लक्ष्य होगा। उनका कहना था कि प्रमुख खाद्यान्न चावल और गेहूं की कम लागत के साथ अधिक उत्पादकता में खेती के लिए एसआरए (सिस्टम ऑफ राइस इंटेंसीफिकेशन) व एसडब्ल्यूए (सिस्टम ऑफ व्हीट इंटेंसीफिकेशन) और जैविक खेती पर अधिक से अधिक जोर इस अभियान में दिया जाएगा।

पटना के अलावा दिल्ली, हैदराबाद, गुवाहाटी, लखनऊ और मुंबई से इस अभियान की शुरूआत की गई है। यह बेहतर ढंग से उपजाने, विवेकपूर्ण वितरण और साथ-साथ जीने का नया अभियान है। ऑक्सफैम का मानना है कि बिहार में सीमांत व भूमिहीन किसानों और गैर-प्रासंगिक औद्योगीकरण के कारण कृषि उत्पादकता घटी है।

खाद्य अधिकार के मुदकमे के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के सलाहकार रुपेश ने बताया कि केवल बजटीय आवंटन से नहीं, बल्कि कृषि पर गंभीरता से ध्यान देकर ही उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है। इस अभियान को ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति लूला डीसिल्वा, अभिनेत्री स्कारलेट जोहान्सन और अभिनेता राहुल बोस ने अपना समर्थन दिया है।

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