बाजार ने कल साबित करने की कोशिश की कि अमेरिकी बाजार से हमारा कोई वास्ता नहीं रह गया है, जबकि ग्लोबल होती जा रही दुनिया का सच यह नहीं है। दरअसल बाजार के महारथियों ने कुछ एफआईआई की मदद से चुनिंदा स्टॉक्स को खरीदकर बनावटी माहौल बनाने की कोशिश की थी। खैर, कल जो हुआ, सो हुआ। आज दोपहर करीब डेढ़ बजे के बाद बाजार ने बढ़त पकड़ ली तो कारोबार के अंत तक सेंसेक्स 0.89% बढ़कर 16,862.81 और निफ्टी 0.94% बढ़कर 5064.30 पर बंद हुआ। इधर एक बार फिर निफ्टी में 4400 पर पुट ऑप्शंस की थोड़ी पोजिशन बनाई गई है। हालांकि 5200 पर थोड़े कॉल ऑप्शंस भी बटोरे गए हैं। इससे रिटेल निवेशकों के लिए आशा की हल्की-सी किरण बनती नजर आई। लेकिन ओपन इंटरेस्ट की स्थिति ने यह आशा भी मिटा डाली।
बाजार में फिलहाल खबरों पर आधारित क्रिया-प्रतिक्रिया का दौर चल रहा है। एमसीएक्स के निवेश के विवाद में आईएफसीआई के प्रमुख अतुल राय को घसीटा गया तो यह स्टॉक दो फीसदी से ज्यादा गिर गया। बीएफ यूटिलिटीज कल 376.70 रुपए के न्यूनतम स्तर पर चला गया था। हालांकि कल ही काफी सुधरकर 515.05 रुपए पर आ गया था। आज 3.50 फीसदी और बढ़ गया क्योंकि उसने बड़े भूखंड के विकास के लिए 880 करोड़ रुपए के समझौते पर दस्तखत किए हैं। सैंडुर मैंगनीज एंड आइरन ओर कर्नाटक में अवैध खनन के मामले में जनार्दन रेड्डी की गिरफ्तारी के बाद 1.34 फीसदी बढ़ गया। सेबी के चेयरमैन यू के सिन्हा सांसत में हैं क्योंकि खबरों के मुताबिक कुछ लोगों ने उनकी नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर कर दिया है। इसके दबाव में सेबी बाजार में गड़बड़ी करनेवालों के खिलाफ कुछ कठोर कार्रवाई कर सकती है।
एक अन्य खबर के मुताबिक सेबी ने नीरज संघवी पर 20 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया है। यहां तक कि शेयरधारिता की सही जानकारी न देने के लिए वीआईपी इंडस्ट्रीज के खिलाफ भी सेबी कड़ी कार्रवाई कर सकती है। मूलाधार की बात करें तो मेरे अब तक के करिअर में वीआईपी 35 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा सबसे कमजोर स्टॉक है। इसका बढ़ना प्रबंधन की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। वैसे, इतने बढ़े-चढ़े भाव को टिकाए रखने के लिए प्रबंधन के सामने कोई बहुत मजबूत मजबूरी होगी। आरजे (राकेश झुनझुनवाला) ने तो इसमें 95 रुपए के भाव पर निवेश किया था। आठ गुना फायदा कमाकर उनकी तो मौज है। पिटेंगे वे लोग जो इस अटैची-सूटकेस बनानेवाली कंपनी के शेयर इस समय 35 के पी/ई पर खरीद रहे हैं। जब इनफोसिस जैसी कंपनी तक इतने ऊंचे पी/ई अनुपात को नहीं टिका सकी तो वीआईपी की क्या बिसात!
भूमि अधिग्रहण विधेयक बहुत सारी बड़ी रीयल्टी कंपनियों की अटकी मुराद पूरी कर सकता है। फिर भी मॉरगन स्टैनले ने डीएलएफ को डाउनग्रेड कर दिया। मेरा मानना है कि जिन रीयल्टी कंपनियों के पास भूमि का विशाल भंडार है, उन्हें केवल मुनाफे के आधार पर नहीं आंका जा सकता। इसलिए इस तरह के डाउनग्रेड का कोई मतलब नहीं है। वैसे भी हम सभी जानते हैं कि जिन स्टॉक्स को डाउनग्रेड किया जाता है, उन्हें हमेशा अच्छे खरीदार मिल जाते हैं।
दूसरी तरफ सुज़लॉन व हीरो मोटोकॉर्प को अपग्रेड कर खरीदने की सलाह दी गई है। हमने अरसे पहले सुज़लॉन को खरीदने की रिपोर्ट जारी की थी। हीरो मोटोकॉर्प के बारे में हमने बहुत साफ शब्दों में कह रखा था कि होंडा के निकलते ही यह बढ़ना शुरू कर देगा जिसकी सीधी वजह यह है कि इस स्टॉक का कंट्रोल बहुत मजबूत हाथों में है। अभी मेरी सलाह यह है कि विवाद में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से फंसे सभी शेयरों से दूर रहें और टाटा मोटर्स, मारुति, एसीसी व एसबीआई जैसे उन स्तरीय स्टॉक्स में निवेश बनाए रखें जिनमें प्रवर्तकों पर कोई उंगली नहीं उठा सकता।
इस सेटलमेंट में निफ्टी 4730 से 5200 के बीच झूलेगा। अगर किसी वजह से 4730 का स्तर भी टूट गया तो निश्चित रूप से थोड़े और वक्त तक लांग या खरीद से बचें। हालांकि बाजार में अभी निवेश की जो स्थिति है, उसमें नहीं लगता कि ऐसी बदतर सूरत पेश आएगी। यह अलग बात है कि मंदड़ियों ने 4100 से 4400 का मंसूबा पाल रखा है तो दूसरी तरफ तेजड़ियों ने 5000 से 5200 तक का मन बना रखा है।
मूर्ख व्यक्ति अपने दोस्तों से भी जितना काम नहीं निकाल पाता, उससे ज्यादा काम बुद्धिमान इंसान अपने दुश्मनों तक से निकाल लेता है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का पेड-कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)