शेयर बाजार में इस वक्त निवेशकों का नहीं, ट्रेडरों का बोलबाला है। 3 अक्टूबर को बाजार खुलने से पहले हमने ज्यादा कुछ न बताकर इतना कहा था कि नेस्को बहुत ही मजबूत और संभावनामय कंपनी है। इसमें बढ़त का रुझान भी है। बस क्या था? संकेत मिला नहीं कि ट्रेडरों की मौज हो गई। रण बीच चौकड़ी भरने लगे। एकदम चेतक की तरह, जिसके बारे में कविता है कि राणा की पुतली फिरी नहीं, तब तक चेतक मुड़ जाता था।
जब हमने 3 अक्टूबर को सुबह बाजार खुलने से पहले नेस्को का नाम लिया था, उसके पिछले कारोंबारी दिन 1 अक्टूबर को उसका शेयर बीएसई (कोड – 505355) में 685.10 रुपए और एनएसई (कोड – NESCO) में 685.20 रुपए पर बंद हुआ था। भाईलोग उसी दिन इसे 719.80 रुपए और अगले दिन 4 अक्टूबर को 734.40 रुपए तक उठा ले गए। कुल जमा दो दिन में 7 फीसदी से ज्यादा उछाल!! यह ट्रेडरों का ही कमाल हो सकता है क्योंकि कोई भी निवेशक इतनी जल्दी पत्ते नहीं फेटता। उन दो दिनों में इसकी ट्रेडिंग के आंकड़े भी इसकी तस्दीक करते हैं।
बीएसई में 3 अक्टूबर को इसमें 24,456 शेयरों की ट्रेडिंग हुई, जिसमें से 31.85 फीसदी (7790) ही डिलीवरी के लिए थे। 4 अक्टूबर को वहां ट्रेड हुए 25,275 शेयरों में से 25.97 फीसदी (6564) डिलीवरी के लिए थे। इन दो दिनों में एनएसई में डिलीवरी और ट्रेड हुए शेयरों का अनुपात 25,692/51790 (49.60 फीसदी) और 13,434/40,289 (33.30 फीसदी) का रहा। अगले ही दिन यानी शुक्रवार, 5 अक्टूबर को ट्रेडरों ने इसमें मुनाफावसूली कर डाली। नतीजतन, वैताल फिर पुरानी डाल पर आ गया। उस दिन यह बीएसई में 688.70 रुपए और एनएसई में 689.60 रुपए पर बंद हुआ है। दिन के दौरान यह नीचे में 676 रुपए तक भी चला गया था।
ट्रेडर जो भी करें, निवेशकों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है। कई विश्लेषकों के मुताबिक अगले एक साल में इसका उच्चतम लक्ष्य 842 रुपए और न्यूनतम लक्ष्य 742 रुपए का है। इनके बीच के विभिन्न भावों की प्रायिकता/संभावना (probability) को परखते हुए इसका सांख्यिकीय औसत 792 रुपए का है। बीते साल 2011-12 में कंपनी का कैश फ्लो या प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) 47.78 रुपए रहा है। इस साल 2012-13 में इसके 54.57 रुपए हो जाने का अनुमान है। अभी इसका शेयर करीब 14.5 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। इसे इतना ही मानें तो भी साल भर बाद का अनुमानित भाव 790 रुपए के ऊपर निकलता है। इस तरह अभी की बनिस्बत इससे साल भर में आसानी से करीब 15 फीसदी रिटर्न मिल सकता है।
बता दें कि नेस्को 1939 में बनी मुंबई की कंपनी है। तब इसका नाम न्यू स्टैंडर्ड इंजीनियरिंग (एनएसई) हुआ करता था। इस समय मुंबई में वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर गोरेगांव में इसका 70 एकड़ का परिसर है, जहां तमाम बड़ी प्रदर्शियां वगैरह भी लगती रहती हैं। बॉम्बे एक्जिबिशन सेंटर इसी का है जिसे वह 1992 से चला रही है। यह देश में निजी क्षेत्र द्वारा चलाया जा रहा सबसे बड़ा एक्जिबिशन सेंटर है। वैसे, कंपनी मूलतः इंजीनियरिंग उत्पाद बनाती है। क्या-क्या बनाती है, यह आप उसकी साइट पर जाकर देख सकते हैं। निर्यात भी वह बराबर करती है। इस समय वह भातीय रेल व आयुध कारखानों समेत फोर्जिंग संयंत्रों को उपकरणों की प्रमुख सप्लायर है।
आगे की इसकी संभावनाएं विराट हैं। इसके साथ दो सबसे खास बातें हैं। एक तो यह पूरी तरह ऋण-मुक्त कंपनी है। आज की तारीख पर इसके ऊपर कोई कर्ज नहीं है। दुनिया की सबसे बहुमूल्य कंपनी एप्पल भी इसी तरह कर्जमुक्त है। नेस्को के कैश रिजर्व का हिसाब आप उसके घोषित नतीजों में देख सकते हैं। दूसरे, इसका शुद्ध लाभ मार्जिन (ओपीएम) जबरदस्त है। वित्त वर्ष 2011-12 में इसका ओपीएम 52.42 फीसदी रहा है। तिमाहियों की बात करें तो जून 2011 की तिमाही में यह 33.13 फीसदी था, जबकि जून 2012 की तिमाही में 65.07 फीसदी तक पहुंच चुका है। दूसरी प्रमुख कंपनियों में एल एंट टी का ओपीएम 14.5 फीसदी और बीएचईएल का ओपीएम 14.6 फीसदी है। हमारी सलाह तो यही है कि नेस्को में लंबे समय के निवेश किया जा सकता है। पांच साल में यह आराम से 1200 रुपए के पार जा सकता है। लेकिन इतना जान लें कि ज्यादा रिटर्न के साथ हमेशा ज्यादा रिस्क भी जुड़ा रहता है। यह अकाट्य सच है। कैसे? हम इसे जल्दी ही आपको विस्तार से बताएंगे। इसलिए हमेशा केवल रिटर्न की ही नहीं, उससे जुड़े रिस्क का भी हिसाब-किताब लगा लिया कीजिए।