न पढ़े-लिखे साक्षर, ना नियामक दुरुस्त

न जीवन, न समाज और न ही निवेश की दुनिया फॉर्मूलों में बंधकर चलती है। इसलिए सार्थक जीवन जीने और सफल निवेश के लिए हमेशा सतर्क रहना पड़ता है। यह भी जान लें कि पढ़े-लिखे होने का मतलब वित्तीय साक्षरता नहीं। केरल देश का सबसे ज्यादा शिक्षित राज्य है। लेकिन वहां के सबसे ज्यादा लोग लॉटरी खेलते हैं जो शुद्ध रूप में गंवाने का उपक्रम है, कमाने का नहीं। जिस दिन सभी लोग लॉटरी जीतने लगेंगे, उस दिन लॉटरी का धंधा बंद हो जाएगा। मामला सिर्फ लोगों का ही नहीं, नियामकों का भी है। अमेरिका में निवेश का सबसे बड़ा फ्रॉड करनेवाला बेरनी मैडॉफ 2008 में गिरफ्तार हुआ और वहां के नियामकों ने घोटाले में लूटे गए सारे 68 अरब डॉलर कुछ ही सालों में निवेशकों तक वापस पहुंचा दिए। लेकिन अपने यहां 1992 के हर्षद मेहता घोटाले के शिकारों को कुछ नहीं मिला। यहां तक कि पर्ल एग्रो के प्लांटेशन और सहारा इंडिया के डिपॉजिट घोटालों के करोड़ों निवेशक मासूम हो चुके हैं। अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में जबरन चढ़ाने का मामला सामने आया तो नियामक सेबी ने पिछली तारीख से कानून ही बदल दिया। ऐसे में भारत के हम निवेशकों को खुद अपनी रक्षा करनी होगी। अब तथास्तु में आज की कंपनी…

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