नैटको फार्मा मध्यम आकार की दवा कंपनी है। एक्टिव फार्मा अवयव (एपीआई), फॉर्मूलेशन और कांट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग सेवाओं का बिजनेस करती है। देश में कैंसर संबंधी दवाएं बनाने की अग्रणी कंपनी है। 1981 में आंध्र प्रदेश से शुरुआत की। 2008 तक अमेरिका पहुंच गई। 2011 में उसने अमेरिकी कंपनी लिवोमेड के साथ मिलकर एक संयुक्त उद्यम बना डाला जो ब्राज़ील के लिए दवाएं बनाता व बेचता है। इसी महीने भारत सरकार के पेटेंट निकाय ने एक ऐतिहासिक फैसले में जिस तरह नैटको फार्मा को जर्मन कंपनी बायर की पेटेंट वाली कैंसर संबंधी दवा नेक्सावार का जेनेरिक संस्करण बनाने की इजाजत दी है, उसने कंपनी को नए ऑरबिट में पहुंचा दिया है।
सोचिए बायर की जिस दवा की महीने भर की डोज़ किसी कैंसर मरीज को 2,84,428 रुपए की पड़ती है, उसी का जेनेरिक वर्जन नैटको उसे महीने के 8880 रुपए के खर्च में उपलब्ध करा रही है। 12 मार्च को यह फैसला आया और 15 मार्च को नैटको फार्मा का दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर अब तक के ऐतिहासिक शिखर, 361.45 रुपए पर जा पहुंचा। उसके बाद ठंडा-ठंडा होते-होते फिलहाल कल, 28 मार्च को बीएसई (कोड – 524816) में 340.05 रुपए और एनएसई (कोड – NATCOPHARM) में 339.90 रुपए पर बंद हुआ है। इसका न्यूनतम स्तर 197.25 रुपए का है जो इसने करीब चार महीने पहले 25 नवंबर 2011 को हासिल किया था।
कंपनी ने नए-नए उत्पादों और नए-नए बाजारों में पैठ जमाने की जो योजना बना रखी है, उससे लगता है कि यहां से उसे आगे ही बढ़ते जाना है और हो सकता है कि अभी उसके शेयर का जो उच्चतम स्तर है, वो आनेवाले सालों का न्यूनतम स्तर बन जाए। आपको बता दें कि हमने आज ही दिन साल भर पहले इसी कॉलम में धानुका एग्रीटेक के बारे में लिखा था। उस दिन उसका शेयर उछलकर 73.50 रुपए पर पहुंचा था। लेकिन वो भाव अब उसके पिछले 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर बन गया है। वो शेयर 114.90 रुपए तक जाने के बाद फिलहाल 81.65 रुपए पर चल रहा है।
नैटको फार्मा ने बीते वित्त वर्ष 2010-11 में 371.74 करोड़ रुपए की बिक्री पर 52.12 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था और उसका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) 24.89 फीसदी था। इस साल 2011-12 की दिसंबर तिमाही में उसकी बिक्री 41.06 फीसदी बढ़कर 112.40 करोड़ और शुद्ध लाभ 43.71 फीसदी बढ़कर 17.82 करोड़ रुपए पर पहुंच गया, जबकि उसका ओपीएम सुधरकर 26.69 फीसदी पर आ गया। यूं तो पिछले तीन सालों में उसकी बिक्री 10.71 फीसदी और मुनाफा 12.25 फीसदी की ही सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है, लेकिन ब्रोकरेज फर्म आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले तीन सालों में बिक्री के 16.7 फीसदी और मुनाफे के 20.3 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ने का अनुमान है।
दिसंबर तक के नतीजों के आधार पर कंपनी का पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 19.96 रुपए है और इस तरह उसका शेयर फिलहाल 16.97 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। यह दिसंबर 2010 में 21.03 के पी/ई पर ट्रेड हो चुका है। जाहिरा तौर पर इसमें लंबे समय में बढ़ने की काफी गुंजाइश है। आप यकीन नहीं करेंगे कि तीन साल पहले मार्च 2009 में यह शेयर 45 रुपए की रेंज में चल रहा था।
कंपनी की इक्विटी 31.15 करोड़ रुपए है। इसका 57.01 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है, जबकि इसमें एफआईआई का निवेश 5.93 फीसदी और डीआईआई का निवेश 11.83 फीसदी है। कंपनी पर 219.97 करोड़ रुपए का ऋण है और उसका ऋण-इक्विटी अनुपात 0.51:1 का है, जिसे बहुत अच्छा नहीं तो बहुत बुरा भी नहीं माना जा सकता। प्रवर्तकों ने अपने कोई शेयर गिरवी नहीं रखे हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 28,672 है। इसमें से 27,775 यानी 96.87 फीसदी एक लाख रुपए से कम लगानेवाले छोटे निवेशक हैं। कंपनी पिछले पांच सालों से लगातार लाभांश देती रही है।