नाफेड के लिए 1200 करोड़ रुपए के राहत पैकेज को शायद अभी अमली जामा नहीं पहनाया जा सके क्योंकि कृषि मंत्रालय को इसके चेयरमैन पद पर बिजेंदर सिंह के बने रहने पर आपत्ति है। सिंह पर वित्तीय अनियमितताओं में शामिल होने के आरोप हैं।
पहले तय हुआ था कि सरकार 51 फीसदी हिस्सेदारी के बदले नाफेड को 1200 करोड़ रुपए का राहत पैकेज दे सकती है। मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक सिंह को निजी फर्मों को 4000 करोड़ रुपये का अनसिक्योर्ड ऋण देने के लिए कारण बताओ नोटिस दिया गया है। ऋण डिफॉल्टरों के कारण नाफेड को 1600 करोड़ रुपए का चूना लगा और उसके लिए सरकार से राहत पैकेज लेना अनिवार्य हो गया।
सूत्रों के अनुसार सरकार का मानना है कि अगर वह ऐसे संस्थान को राहत पैकेज देती है जिसका चेयरमैन अनियमितताओं के आरोप से बरी नहीं हुआ हो तो लोग सवाल उठाने से नहीं चूकेंगे। उन्होंने कहा कि यह अच्छा रहेगा अगर चेयरमैन स्वेच्छा से हट जाएं। इससे सरकार के पास पैकेज को उचित ठहराने के लिए उचित माहौल रहेगा। नाफेड में वित्तीय अनियिमितताओं की जांच के लिए गठित दो समितियों ने गैर कृषि उत्पादों में निजी फर्मों के साथ कारोबारी गठजोड़ पाया जो नाफेड के नियमों के हिसाब से गलत है। इस बारे में पर्याप्त प्रतिभूतियां भी नहीं ली गईं।