रिजर्व बैंक ने रेपो दर बढ़ाकर बैंकों के लिए अतिरिक्त धन जुटाना महंगा कर दिया। लेकिन सवाल उठता है कि जब बैंकों के पास पहले से अतिरिक्त धन है तो रिजर्व बैंक से ज्यादा ब्याज पर क्यों उधार लेंगे? हां, रिजर्व बैंक के इस तरह ब्याज बढ़ाने से आम लोगों ही नहीं, उद्योग-धंधों के लिए धन महंगा हो जाएगा। इससे उनका पूंजी निवेश घट सकता है और देश की आर्थिक विकास दर पर नकारात्मक असर पड़ेगा। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अर्थव्यवस्था या जीडीपी की विकास दर का अनुमान 7.2% रखा था और अब भी वही रखा है, जबकि रिटेल मुद्रास्फीति का अनुमान 5.7% से बढ़ाकर 6.7% कर दिया है। इसका मतलब यह कि नॉमिनल जीडीपी अब 12.9% के बजाय 13.9% बढ़ेगा। यह कैसे संभव है? अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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