फटाफट लाभ कमाने की लालच में देश के लाखों नहीं, करोड़ों निवेशक शेयर बाज़ार पर टूटे पड़े हैं। बीएसई की वेबसाइट के मुताबिक पंजीकृत निवेशकों की संख्या 19.32 करोड़ हो चुकी है। निवेश व ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज़ की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक देश की लिस्टेड कंपनियों में रिटेल निवेशकों या आम घरों का स्वामित्व 21.5% पर पहुंच चुका है। अमेरिका को छोड़ दें तो दुनिया की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में लिस्टेड कंपनियों में आम घरों का मालिकान 11% से 18% तक है। अमेरिका में यह 40% से अधिक है। लेकिन भारत में यह मालिकाना बढ़कर 21-22% पर पहुंच जाना चहकने का नहीं, बल्कि गंभीर चिंता का विषय है। कारण यह है कि आम घरों के निवेशक शेयर बाज़ार के इंट्रा-डे ही नहीं, फ्यूचर्स व ऑप्शंस सौदों में भारी नुकसान उठा रहे हैं। पूंजी बाज़ार नियामक संस्था, सेबी की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन वित्तीय वर्षों में एफ एंड ओ सेगमेंट में 1.13 करोड़ व्यक्तिगत ट्रेडरों ने ₹1.81 लाख करोड़ का घाटा उठाया है। ऐसे ट्रेडरों में 30 साल तक के युवाओं का हिस्सा 2022-23 से 2023-24 के बीच 31% से बढ़कर 43% गया है। इसमें से तीन-चौथाई से ज्यादा व्यक्तिगत ट्रेडरों की सालाना आय ₹5 लाख से कम है। उनकी हालत दीए की लौ पर झुंड के झुंड गिरते पतंगों जैसी है। अब सोमवार का व्योम…
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