वित्त मंत्रालय कुछ ही दिनों में डाकघर के बचत खातों पर ब्याज की सालाना दर 3.5 फ़ीसदी से बढ़ाकर 4 फ़ीसदी करने की अधिसूचना जारी कर देगी। बता दें कि इस फैसले की सूचना दो दिन पहले ही आर्थिक मामलों के सचिव आर गोपालन अनौपचारिक तौर पर दे चुके हैं।
असल में रिज़र्व बैंक ने 25 अक्टूबर को मौद्रिक नीति की दूसरी त्रैमासिक समीक्षा के दौरान जब से बैंकों के बचत खाते की ब्याज दरों को नियंत्रण-मुक्त किया है, तभी से डाकघरों के बचत खातों में लोगों का उत्साह कम होने लगा है। अब निजी क्षेत्र के कई बैंक एक लाख रुपए से अधिक रकम वाले बचत खाते पर 6 फ़ीसदी की दर से ब्याज देने लगे हैं। हालांकि अब भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बचत खाते पर चार फ़ीसदी ही ब्याज दे रहे हैं।
बता दें कि पिछले साल सरकार ने राष्ट्रीय लघु बचत योजनाओं की समीक्षा के लिए रिजर्व बैंक की डिप्टी गवर्नर श्यामला गोपीनाथ की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। इस समिति ने लघु बचत पर ब्याज दरों को बाज़ार के अनुरूप बनाने और डाकघर के बचत खातों में ब्याज की दर को बैंकों के बराबर लाने की सिफ़ारिश की थी।
इसके अलावा, गोपीनाथ समिति की एक अन्य सिफारिश ये भी है कि एक साल की अवधि वाली छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज की दर को मौजूदा 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.8 फीसदी कर दिया जाए। असल में सरकार इसलिए भी लघु बचत को आकर्षक बनाए रखना चाहती है क्योंकि इसके बड़े हिस्से से वह अपने राजकोषीय घाटे को पाटती है। इसमें कमी आने पर उसे बाजार से उधार जुटाना पड़ता है जो उसके लिए महंगा पड़ता है।